Pakistan On US Over Asim Munir Sanction: भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने अमेरिकी संसद में पेश किए गए एक बिल की कड़ी आलोचना करते हुए खारिज कर दिया है. विधेयक में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और अन्य सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कथित मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (PFO) ने इसे अलग-थलग करने वाली कार्रवाई करार दिया है.  इसे व्यक्तियों की निजी राय करार दिया, जो दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय संबंधों का प्रतिनिधित्व नहीं करती.


अमेरिका के सांसद जो विल्सन और जिमी पैनेटा की तरफ से पेश किए गए 'पाकिस्तान डेमोक्रेसी एक्ट' में पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है. विधेयक में विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के उत्पीड़न और उनकी पार्टी के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए पाकिस्तानी सेना और सरकार पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है.


विधेयक की मुख्य बातें
विधेयक के अनुसार, अगर पाकिस्तान 180 दिनों के भीतर मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार नहीं करता है, तो प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. इसके साथ ही, अमेरिकी कानून 'ग्लोबल मैग्निट्स्की मानवाधिकार जवाबदेही अधिनियम' को लागू करने की भी सिफारिश की गई है, जो मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपियों को अमेरिका में प्रवेश से मना करता है.


पाकिस्तान का कड़ा विरोध
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने गुरुवार (27 मार्च) को साप्ताहिक प्रेस वार्ता में इस विधेयक की आलोचना की. उन्होंने इसे "व्यक्तिगत राय" बताया और कहा कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों को इस तरह की कार्रवाइयों से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंध बहुपक्षीय हैं और यह विधेयक उन संबंधों का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता.


अमेरिकी प्रतिबंधों पर भी नाराजगी
पाकिस्तान ने हाल ही में अपनी वाणिज्यिक संस्थाओं पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों की भी आलोचना की. पाकिस्तान ने इसे "बिना साक्ष्य और प्रमाण के" एकतरफा फैसला बताया. प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान अपनी वाणिज्यिक संस्थाओं पर लगाए गए इन प्रतिबंधों को भी अनुचित मानता है और अमेरिका से इस मुद्दे पर परामर्श की मांग की है.


भविष्य में विधेयक की स्थिति
यह विधेयक अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और सीनेट में पारित होना जरूरी है, जिसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से इसे कानून बनाया जा सकेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही यह विधेयक कानून न बने, लेकिन यह पाकिस्तान की सरकार और सेना पर दबाव जरूर डालता है. इस विधेयक के माध्यम से पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान से इमरान खान और उनकी पार्टी के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है.