Soyuz MS-23 Crew: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने एक साझा मिशन के तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा है. शुक्रवार रात 8.44 मिनट पर रूसी अंतरिक्ष यान सोयुज एमएस-24 से नासा के अंतरिक्ष यात्री लोरल ओ'हारा और रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको और निकोलाई चुब कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन(आईएसएस) के लिए रवाना हुए.


नासा के मुताबिक, तीनों यात्री आईएसएस पहुंच चुके हैं. ओ'हारा आईएसएस पर छह महीने बिताएंगे जबकि कोनोनेंको और चुब वहां एक साल बिताएंगे. नासा के मुताबिक, जब मिशन कमांडर कोनोनेंको एक साल तक अंतरिक्ष बीता लेंगे तो वह अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय एक हजार दिन से ज्यादा बिताने वाले व्यक्ति का रिकॉर्ड अपने नाम कर लेंगे.


नासा के लोरल ओ'हारा और रोस्कोस्मोस के निकोलाई चूब इससे पहले अंतरिक्ष की यात्रा पर नहीं गए हैं. वहीं मिशन कमांडर कोनोनेंको इससे पहले चार बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं. 


आईएसएस पहुंचते ही उनका मॉड्यूल डॉक हुआ और हैच खुलते ही उनकी मुलाकात अमेरिका, रूस, डेनमार्क और जापान के सात अंतरिक्ष यात्रियों से हुई.


इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में कौन-कौन रह रहा है?


नासा की जानकारी के मुताबिक, आईएसएस पर अभी कुल सात लोग रह रहे हैं, जिसमें नासा की ओर से जैसमिन मोगवेली, फ्रैंक रूबियो, रूस की ओर से दमित्री पेटेलिन, कौन्सटैंटिन बोरिसोव, सर्गेई प्रोकोयेव, यूरोपियन स्पेस एजेंसी की ओर से एंड्रिस मोगेन्सन, जापानी स्पेस एजेंसी की ओर से स्तोशी फूरूकावा हैं. 


इनके अलावा सोयुज एमएस-24 के जरिए अब तीन और यात्री पहुंचे हैं जिसके बाद आईएसएस पर अंतरिक्ष यात्रियों की संख्या दस हो गई. हालांकि 27 सितंबर के बाद फ्रैंक रूबियो, सर्गेई प्रोकोयेव और दमित्री पेटेलिन पृथ्वी पर वापस आ जाएंगे. ये तीनों 21 सितंबर 2022 से आईएसएस पर रह रहे थे.  


आईएसएस पर अंतरिक्ष यात्री क्या करेंगे?


नासा के मुताबिक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का पहला दशक निर्माण का दशक था. दूसरा दशक में स्पेस के प्रारंभिक अध्ययन से आगे बढ़कर स्पेस में जाकर रिसर्च करने पर ध्यान दिया गया.


आईएसएस को अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, शैक्षिक जुड़ाव और वाणिज्यिक विकास के लिए तैयार किया गया था. इसके अलावा पृथ्वी की बाहरी कक्षा से पृथ्वी पर हो रहे बदलावों की निगरानी के लिए भी इसे तैयार किया गया. यहां पर अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी से बाहर के वातावरण के बदलावों की पढ़ाई करते हैं. 


अंतरिक्ष यात्री आईएसएस में हर हफ्ते अधिकतम 125 घंटे तक रिसर्च करते हैं. 2 दशक में अब तक 2000 से ज्यादा रिसर्च हो चुके हैं.


ये भी पढ़ें:
नाइजर सेना ने फ्रांस के राजदूत को बनाया बंधक, प्रेसिडेंट मैक्रों ने कहा- 'खाने-पीने की हो रही दिक्कत'