तालिबानी बलों की तरफ से लगातार अफगानिस्तान के नए क्षेत्रों को अपने कब्जा में लेने के बाद वहां की सुरक्षा स्थिति तेजी के साथ बिगड़ती जा रही है. ऐसे में भारत अपने नागरिकों और अधिकारियों की युद्धग्रस्त देश से वापसी कर सकता है.  साल 2001 में अमेरिकी हमले और तालिबान के पतन के बाद से ही बड़ी संख्या में वहां पर भारतीय लोगों की मौजूदगी है और वे वहां की सरकार के साथ ही नॉर्दर्न एलायंस की मदद करते आ रहे हैं.  


समाचार एजेंसी एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया- “अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति बिगड़ने के बाद वहां के विभिन्न हिस्सों से नागरिकों और अधिकारियों की वापसी की योजना पर चर्चा की जा रही है और इस काम के लिए कई एजेंसियों के साथ बातचीत हो रही है.” भारत का काबुल में दूतावास है जबकि कंधार और मजार में वाणिज्यिक दूतावास है, जहां पर करीब 500 से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं.


एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रक्रिया पर अभी चर्चा की जा रही है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सभी लोगों की वापसी की जाएगी या फिर कुछ आवश्यक सेवाओं में लगे लोग अफगानिस्तान में रुकेंगे. भारतीय सैन्य अधिकारियों की तरफ से भी अफगानिस्तान नेशनल आर्मी पर्सनल में अफगानिस्तान और भारत को ट्रेनिंग में सहायता देते रहे हैं.


अमेरिका की तरफ से अपने सभी सैनिकों की वापसी के फैसले के बाद तालिबानी बल लगातार नए जिलों पर तेजी के साथ अपना कब्जा जमाते जा रहे हैं जबकि अफगानिस्तान के सुरक्षाबल वहां के जान बचाने के लिए दूसरी जगहों पर भाग रहे हैं.


अफगानिस्तान से आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंधार में तालिबानी बलों ने वहां के महत्वपूर्ण पुलों और सड़कों पर अपना कब्जा जमा लिया है, जो शहर और अन्य हिस्सों को जोड़ते हैं. अफगानिस्तान के अधिकारी अब अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं.


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