Russia Ukraine War: रूसी घेराबंदी के बीच मारियुपोल में 6 बार घुसा ये शख्स, 200 लोगों को शहर से सुरक्षित निकाला
Russia Ukraine War: मायखाइलो पुर्यशेव नाम के शख्स ने मारियुपोल के नागरिकों को निकालने के लिए पिछले महीने छह बार शहर में प्रवेश किया.
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Russia Ukraine War: रूसी सेना ने मारियुपोल की घेराबंदी बेहत सख्त घेराबंदी की है. लेकिन शहर के चारों और मौजूद रूसी सेना का जमावड़ा भी मायखाइलो पुर्यशेव को लोगों की मदद करने से नहीं रोक पाया. पुर्यशेव मारियुपोल के नागरिकों को निकालने के लिए पिछले महीने छह बार शहर में प्रवेश किया. उनकी लाल बस के नष्ट होने के बावजूद वह किसी तरह जीवित बच गए. 36 वर्षीय पुर्यशेव (जो कभी शहर में एक नाइट क्लब चलाते थे) ने कहा कि उन्होंने अपनी छह खतरनाक यात्राओं में 200 से अधिक लोगों को निकाला.
रूस ने पिछले हफ्ते कहा था कि उसने विशाल अज़ोवस्टल इंडस्ट्रियल इलाके को छोड़कर, रणनीतिक रूप से अहम पूर्वी यूक्रेनी शहर मरियुपोल पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया है. इस इंडस्ट्रियल इलाके में सैकड़ों नागरिक कथित तौर पर यूक्रेनी सैनिकों के साथ शरण लिए हुए हैं. यूक्रेन का दावा है कि शहर में करीब एक लाख नागरिक फंसे हुए हैं.
प्राइवेट ट्रिप्स लोगों के लिए सहारा
पुर्यशेव की तरह प्राइवेट ट्रिप्स भूखे नागरिकों के लिए एक जीवन रेखा रही हैं क्योंकि मानवीय गलियारों को स्थापित करने के बार-बार प्रयास विफल रहे. पुर्यशेव ने कहा, "जब मैं पहली बार (8 मार्च को) गया था, तो शहर धुएं के बादल की तरह था, अलाव की तरह.. पिछली बार जब मैं गया था तो यह इमारतों के काले कोयले के साथ राख हो चुका था ..." पुरीशेव ने अपनी यात्राओं के ऑनलाइन वीडियो पब्लिश किए हैं जो शहर की क दुर्लभ झलक पेश करते हैं.
पुर्यशेव बस पर है युद्ध के कई निशान
पुर्यशेव ने कहा कि उनकी बस, जिसे उसके दोस्तों ने विशेष रूप से लोगों को मारियुपोल से निकालने के लिए खरीदा था, की विंडशील्ड, तीन साइड की खिड़कियां और एक साइड का दरवाजा एक स्ट्राक में नष्ट हो गया था. उन्होंने कहा, "भगवान का शुक्र है कि कोई अंदर नहीं था." उन्होंने यात्राओं के बीच वैन की मरम्मत की. पुर्यशेव ने "बस पर गोलाबारी हुई, एक स्ट्राइक, मोर्टार, राइफल फायर, सच कहूं, तो उस पर युद्ध के बहुत निशान हैं."
पुर्यशेव ने कहा कि रूसी कब्जे वाले क्षेत्र से होकर मारियुपोल तक आठ घंटे लग गए, चौकियों को पार करना और कभी-कभार मिट्टी और लाशों के दलदलों को पार करना, जबकि लगातार बारूदी सुरंगों का डर था. उन्होंने कहा कि शहर के अंदर, वह जमीन पर या वाहनों के जले हुए अवशेषों के अंदर बिखरी हुई लाशों को नहीं देखने की कोशिश करते, इस डर से कि कहीं वह एक मृत बच्चे को न देख ले और टूट न जाए.
बेसमेंट में किया बम शेल्टर स्थापित
पुर्यशेव ने बताया कि गली में, शॉपिंग सेंटरों, नाइट क्लबों और यहां तक कि एक किंडरगार्डन के मैदान में भी लोगों को दफना दिया गया था. कुछ शवों को कालीनों में लपेट कर बेंचों पर छोड़ दिया गया था. उन्होंने अपने पुराने नाइट क्लब के कर्मचारियों को बेसमेंट में बम शेल्टर स्थापित करने के लिए कहा था. इसमें बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं समेत करीब 200 लोगों को रखा गया था.
पुर्यशेव ने कहा कि अंततः उन्हें 28 मार्च को अपनी यात्राएं छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा जब एक अलगाववादी सैनिक ने उनसे कहा कि वे कभी वापस न आएं अन्यथा उन्हें बंद कर दिया जाएगा - या इससे भी बदतर. उन्होंने कहा कि भगवान ने उनसकी देखभाल की थी. पुर्यशेव के पास उनके वाहन के लिए एक योजना है. उन्होंने कहा, "जब हम मारियुपोल लौटेंगे तो हम इसे एक स्मारक में बदल देंगे."
क्यों महत्वपूर्ण मारियुपोल
बता दें बंदरगाह शहर मारियुपोल को कब्जे में लेना रूस के लिए सामरिक और सांकेतिक, दोनों रूप से महत्वपूर्ण है. यह रूस और क्रीमियाई प्रायद्वीप को भूमि के जरिए जोड़ देगा और इससे रूसी सेना डोनबास में कहीं भी जा सकती है.
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