नई दिल्ली: एक छोटे से देश नाउरु ने जो किया है उसकी हिम्मत आज के दौर में बड़े-बड़े देशों की नहीं है. 12,000 लोगों के इस देश ने एक विवाद के बाद चीन से माफी मांगने को कहा है. बड़ी बात ये है कि इस नन्हें से देश ने चीन से कोई ऐसी-वैसी नहीं बल्कि औपचारिक माफी की मांग की है. बताया जा रहा है कि विवाद चीनी प्रभाव वाले देश ताइवान से जुड़ा हुआ है.
नहीं बोलने देने पर हुआ विवाद
आपको बता दें कि 12,000 लोगों के इस देश ने 18 पैसेफिक सदस्य देशों से जुड़े एक कार्यक्रम की मेजबानी की थी. इसमें चीन और अमेरिका जैसे गैर-सदस्य देश भी शामिल हुए थे. विवाद तब हुआ जब नाउरु के राष्ट्रपति बारोन वाका ने चीन के प्रतिनिधि-मंडल के प्रमुख को बोलने का मौका नहीं दिया. चीनी प्रतिनिधि-मंडल के प्रमुख ने एक और सदस्य देश तुवालु के पीएम से पहले बोलने की मांग की थी जिसे खारिज कर दिया गया.
विवाद की जड़ में ताइवान
नाउरु का कहना है कि चीन के प्रतिनिधि-मंडल प्रमुख का स्वाभाव बेहद आपत्तिजनक था. आपको बता दें कि नाउरु और तुवालु वो दो देश हैं जिनके ताइवान के साथ राजनयिक संबंध हैं. ताइवान के साथ दोनों देशों के राजनयिक संबंध चीन के लिए असहजता का बड़ा कारण है, क्योंकि ताइवना को चीन अपना हिस्सा मानता है और अपनी इस धारणा को पूरा करने के लिए वो बल का इस्तेमाल करता आया है और आगे की इसकी आशंका बनी हुआ है.
चीनी मुखपत्र ने बताया विवाद का कारण
चीन ने मामाले पर सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, बीते बुधवार को चीन की तरफ से कहा गया था कि नाउरु ने अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन नहीं किया. चीनी सरकार के मुखपत्रों में शामिल ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ताइवान को नाउरु एक देश मानता है और यही बात विवाद की मुख्य वजह रही है.
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