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एक महिला जासूस जिसकी वजह से परेशान था सुपरपावर अमेरिका, 20 साल बाद रिहाई लेकिन रखी जाएगी नजर

शीत युद्ध के दौरान दुनिया के ताकतवर मुल्क अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी में सेंध लगाकर सारी सूचनाएं दुश्मन देश क्यूबा को भेजने वाली कुख्यात अमेरिकी महिला जासूस को आखिरकार रिहा कर दिया गया.

अमेरिकी महिला जासूस एना मोंटेस को शीत युद्ध के दौरान की सबसे कुख्यात महिला जासूस के तौर पर जाना जाता है. बीते 20 सालों से अमेरिका की कैद में रही एना को अब रिहाई मिल गई है, लेकिन उनके जासूसी के कारनामों से उनको रिहाई नहीं मिल पाई है.

भले ही वो अब 65 साल की हो, लेकिन इस उम्र तक पहुंचने से पहले वो दो दशकों तक अपने मुल्क यूएस की नहीं बल्कि क्यूबा की वफादार रहीं. एना की इस वफादारी का खात्मा तब हुआ जब अमेरिका को उनके बारे में पता चला और आनन-फानन में 2001 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें अक्टूबर 2002 में जासूसी का दोषी पाया गया और 25 साल की सजा सुनाई गई.

उनकी जासूसी का खौफ इस कदर था कि अमेरिकी एफबीआई (FBI) अधिकारियों ने उन्हें मोस्ट डेडली वुमन का खिताब दे डाला था. आखिर ऐसा क्या हुआ कि एना अपने वतन की जगह दुश्मन देश क्यूबा की हिमायती बनीं और उसके लिए उन्होंने जोखिम की परवाह किए बगैर जासूसी करने से भी गुरेज नहीं किया?

भाई-बहन, ब्वॉयफ्रेंड एफबीआई के वफादार, लेकिन...

पश्चिम जर्मनी के न्यूरेमबर्ग में पोस्टिंग के दौरान एक अमेरिकी आर्मी डॉक्टर अल्बर्ट मोंटेस के घर बेटी पैदा हुई जिसका नाम एना मोंटेस रखा गया. किसे पता था की अमेरिकी सेना में काम करने वाले वतनपरस्त डॉक्टर के घर पैदा हुई ये लड़की अमेरिका की मुखालफत में उतर आएगी और अमेरिका को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाले खुफिया राज दुश्मन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर होगी. 

एना का परिवार मूल रूप से स्पेन के ऑस्टुरियस का था, लेकिन उनके दादा-दादी प्यूर्टो रिको में आकर बस गए थे. ये परिवार बाद में टिपिका कैंसस और फिर टौसन मैरीलैंड में रहा. यही से एना ने 1975 में लॉक रेवेन हाई स्कूल से ग्रेजुएशन किया.

पढ़ने में तेज तर्रार एना ने 1979 में वर्जीनिया यूनिवर्सिटी से फॉरेन अफेयर्स में डिग्री ली. इसके बाद 1988 में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज में मास्टर डिग्री ली. 

यही वो दौर था जब एना अपने राजनीतिक विचारों के लिए यूनिवर्सिटी में मुखर होने लगीं थीं. वो यूनिवर्सिटी में निकारागुआ में सैंडिनिस्टा नेशनल लिबरेशन फ्रंट जैसे वामपंथी लैटिन अमेरिकी आंदोलनों के समर्थन में अपनी मजबूत राय के लिए छात्रों के बीच मशहूर थीं.

यही वजह रही कि वामपंथी विचारधारा वाले देश क्यूबा की उन पर नज़र पड़ी और आखिरकार 1980 के दशक में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट लाइफ के दौरान ही उनसे क्यूबा के एक एजेंट ने संपर्क किया. उन्हें क्यूबन इंटेलिजेंस में भर्ती कर लिया गया. इसके बाद क्यूबा की खुफिया सेवा ने उन्हें यूएस डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के साथ काम करने के लिए तैयार किया.  

यहां ये बात गौर करने लायक है कि एना के भाई टिटो और बहन लूसी अमेरिका के फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन (एफबीआई) के कर्मचारी थे. टिटो तो एफबीआई के स्पेशल एजेंट थे और बहन लूसी लंबे वक्त तक एबीआई में लैंग्वेज एनालिस्ट और ट्रांसलेटर रही थी. एना को पकड़वाने में उनकी बहन लूसी की अहम भूमिका रही.

यही नहीं एना के ब्वॉयफ्रेंड रहे रोजर कॉर्नेटो ने पेंटागन के लिए क्यूबा के मामलों में महारत रखने वाले इंटेलिजेंस ऑफिसर के तौर पर काम किया था. इन सबके बीच एना ही थीं जो अमेरिकी विचारधारा के खिलाफ रहीं और जाकर क्यूबा के साथ खड़ी हो गई.

जब डीआईए में शामिल हुईं एना

एना मोंटेस यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के लिए काम करने के बाद सितंबर 1985 में डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी- डीआईए (Defense Intelligence Agency -DIA) में शामिल हो गई. उन्हें पहला काम वाशिंगटन में बोलिंग एयर फ़ोर्स बेस में दिया गया. यहां उन्होंने एक खुफिया रिसर्च एक्सपर्ट के तौर पर काम किया.

1992 में मोंटेस को डीआईए के खास एनालिस्ट प्रोग्राम के लिए चुना गया. इसके बाद एना ने क्यूबा की सेना की स्टडी के लिए क्यूबा की यात्रा की. अपने काम के बल पर एना डीआईए में तेजी से बड़े से बड़े रैंक हासिल करती गईं. कुछ ही वक्त में डीआईए में वो क्यूबा पर सबसे खास सीनियर एनालिस्ट बन गई. 

उनके कलीग ने उन्होंने जिम्मेदार और भरोसेमंद माना. वो डीआईए में बेहद संजीदगी से काम करने वाले खास कर्मचारी के तौर पर मशहूर हुई, लेकिन किसी को कानों कान खबर नहीं हुई कि उनकी यही जवाबदेह साथी उनके खिलाफ काम कर रही थीं.  इतना ही नहीं एना को 1997 में अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी सीआईए के डायरेक्टर जॉर्ज टेनेट की तरफ से विशिष्टता का सर्टिफिकेट भी दिया गया. 

निकारागुआ कॉन्ट्रास के यूएस समर्थन से थीं नाराज

आपके ख्यालात न मिलते हों तो कैसे अपना भी पराया हो सकता है और आपको हर हद तक जाकर कैसे नुकसान पहुंचा सकता है इसका बेहतरीन उदाहरण एना मोंटेस हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग के महानिरीक्षक की एक रिपोर्ट के मुताबिक एना निकारागुआ कॉन्ट्रास के लिए अमेरिकी समर्थन से नाराज थी.

कॉन्ट्रास एक स्पेनिश शब्द है जो ला कॉन्ट्रारेवोल्यूशन से बना है. इसका मतलब 'द काउंटर-क्रांति' है. ये एक दक्षिणपंथी विद्रोही समूह था जिस पर मध्य अमेरिकी देश निकारागुआ में युद्ध अपराध और अन्य अत्याचार करने का संदेह था. इसने आतंकवादी तरीके अपनाकर वहां के लोगों पर जुल्म ढाए थे.

निकारागुआ कॉन्ट्रास कई अमेरिकी समर्थित और वित्त पोषित दक्षिणपंथी विद्रोही समूह थे जो निकारागुआ में 1979 से 1990 तक राष्ट्रीय पुनर्निर्माण मार्क्सवादी सैंडिनिस्टा जुंटा सरकार के विरोध में खड़े हुए थे. ये सरकार निकारागुआ क्रांति के बाद 1979 में सत्ता में आई थी.

दरअसल द सैंडिनिस्टा नेशनल लिबरेशन फ्रंट निकारागुआ का एक समाजवादी राजनीतिक दल है. इसके सदस्य सैंडिनिस्टा कहलाते हैं. ये नाम अंग्रेजी और स्पेनिश दोनों को मिलाकर बना है. इस पार्टी का नाम ऑगस्टो सीज़र सैंडिनो के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने1930 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के निकारागुआ पर कब्जे के खिलाफ क्रांति की थी और निकारागुआ विरोध की अगुवाई की थी. 

यही वजह रही कि निकारागुआ में अमेरिकी कार्रवाइयों पर जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में एना की नाराजगी को देखने के बाद 1984 में एक साथी छात्र ने उनसे संपर्क साधा था. इस साथी छात्र ने ही बाद में उन्हें क्यूबा के एक खुफिया एजेंट से मिलवाया. अमेरिका महानिरीक्षक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, "न्यूयॉर्क शहर में एक डिनर के दौरान एना क्यूबाई लोगों के जरिए निकारागुआ की मदद करने के लिए बगैर किसी हिचकिचाहट के राजी हो गई थी."

इस मुलाकात के बाद ही वो अगले साल ट्रेनिंग के लिए हवाना के सफर के लिए रवाना हुई थी. इसके बाद ही उन्होंने यूएस की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी ज्वॉइन की थी. उन्हें क्यूबा द्वीप की कम्युनिस्ट सरकार के लिए डीआईए का सीनियर एनालिस्ट बनाया गया.

लगभग दो दशकों तक वह वॉशिंगटन डीसी में रेस्तरां में हर कुछ हफ्तों में क्यूबा के हैंडलर्स से मिलती और उन्हें पेजर के जरिए अमेरिका की टॉप सीक्रेट जानकारी वाले कोड मैसेज भेजती थीं. क्यूबा से एना को शॉर्ट-वेव रेडियो पर भेजे गए ट्रांसमिशन से आदेश मिलते थे.

अमेरिका के सभी टॉप खुफिया ऑपरेशन के खोले राज

2001 में एना की गिरफ्तारी के बाद एक अमेरिकी अधिकारी का कहना था कि एना ने क्यूबा को लेकर अमेरिका के सभी खुफिया ऑपरेशनों की पूरी जानकारी क्यूबा को मुहैया करा दी थी. एक अन्य अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक एना अमेरिका में पकड़ी गई सबसे खतरनाक और सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाले जासूसों में से एक थी.

राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के तहत काउंटर-इंटेलिजेंस चीफ मिशेल वान क्लीव ने 2012 में कांग्रेस को बताया था कि मोंटेस ने हर चीज से समझौता किया था. उन्होंने वो सब कुछ क्यूबा को बता डाला था जो अमेरिका क्यूबा के बारे में जानता था और जिस तरह से उस पर निगरानी रख रहा था. यहां तक कि अमेरिका क्यूबा में कैसे काम करता है और किस तरह की रणनीति अपनाता है. ये सब एना ने क्यूबा की खुफिया एजेंसी को तफ्सील से बता डाला था. 

इंटेलिजेंस चीफ मिशेल वान क्लीव का कहना था कि यही वजह रही कि क्यूबाई लोग हर उस चीज़ से अच्छी तरह वाकिफ थे जो अमेरिका उनके बारे में जानता था और अपने फायदे के लिए उसका इस्तेमाल कर सकते थे. इसके अलावा वह सहकर्मियों के साथ अपनी बातचीत में क्यूबा के बारे में अनुमानों पर असर डालने में भी कामयाब रही थीं. इसके साथ ही डीआईए में रहने के दौरान अन्य जरिए से उन्हें जो अहम जानकारी मिलती थी उसे भी वह क्यूबा को देती रही थीं. 

गिरफ्तारी के बाद एना मोंटेस पर  4 अमेरिकी जासूसों पहचान जाहिर करने और बेतहाशा क्लासिफाइड इंफॉर्मेशन (दस्तावेज, रिकॉडिंग, फिल्म, औजार आदि) क्यूबा को देने का आरोप लगाया गया. इसके लिए उन्हें 25 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, जिसमें सजा सुनाने वाले जज ने उन पर राष्ट्र को पूरी तरह से गंभीर खतरे में डालने का आरोप लगाया था.

हालांकि, शीत युद्ध के दौरान पकड़े गए अन्य हाई-प्रोफाइल जासूसों के विपरीत मोंटेस विचारधारा से प्रेरित थी. इसमें उनका कोई निजी फायदा नहीं था. वह लैटिन अमेरिका में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन शासन के कामों के विरोध को लेकर क्यूबा की खुफिया जानकारी के लिए काम करने पर राजी हुई थी.

फिदेल कास्त्रो की वफादार

एना मोंटेस क्यूबा के स्वर्गीय पूर्व राष्ट्रपति और क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो की मुरीद रहीं. 16 साल तक वह फिदेल कास्त्रो के एक वफादार की तरह से काम करती रही थीं. फिदेल कास्त्रो वहीं हैं जिन्हें मारने के लिए अमेरिका की खुफिया एजेंसी यानी सीआईए ने 638 बार साजिशें रचीं, लेकिन ये कभी कामयाब नहीं हो पाई. फिदेल हर बार बच गए. क्यूबा और अमेरिका की अदावत बहुत पहले से चली आ रही है.

दरअसल साल 1962 में शीत युद्ध के दौरान दुनिया न्यूक्लियर वार के मुहाने पर आ पहुंची थी.  इसकी वजह  सोवियत संघ, क्यूबा का अमेरिका से टकराव थी. इसे क्यूबाई मिसाइल संकट के तौर पर जाना जाता है. सितंबर 1962 में क्यूबा और सोवियत सरकारों ने गुप्त तरीके से क्यूबा में  संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकांश भागों पर मार कर सकने की क्षमता वाली परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी थीं.

जब साल 1961 में सीआईए से ट्रेनिंग लेकर आए क्यूबा के कुछ लोगों ने  फिदेल कास्त्रो की सरकार गिराने की कोशिश की थी. हालांकि इस कोशिश में ये लोग कामयाब नहीं हो पाए थे. इसे देखते हुए कास्त्रो ने सोवियत संघ के ताकतवर कम्युनिस्ट लीडर निकिता ख्रुश्चेव की मदद लेने को राजी हो गए. इन दोनों देशों के गठबंधन ने तब क्यूबा को शीत युद्ध का अहम केंद्र में बदल डाला था. 

गौरतलब है कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और सोवियत संघ (रूस ) मिलकर  जर्मनी, इटली और जापान के खिलाफ लड़े थे, लेकिन युद्ध खत्म होते ही एक ओर ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरी तरफ सोवियत संघ में मतभेद पैदा होने लगे. ये मतभेद इस कदर बढ़े कि इससे इन देशों के बीच तनाव के भयंकर हालात पैदा हो गए.

दुनिया के देश रूस के नेतृत्व में साम्यवादी और अमेरिका के नेतृत्व में पूंजीवादी दो खेमों में बंट गए. दूसरे विश्व युद्ध के बाद इन दोनों खेमों में आमने-सामने जंग की नौबत तो नहीं आई, लेकिन दोनों खेमें ऐसे हालात पैदा करते रहे कि जिससे कि हमेशा ही जंग का खतरा सामने दिखाई पड़ता था.

इन हालातों में बर्लिन संकट, कोरिया युद्ध, सोवियत रूस न्यूक्लियर टेस्ट, क्यूबा मिसाइल संकट जैसे कुछ ऐसे हालात थे जो शीत युद्ध की आग को हवा देते रहे थे. हालांकि 1991 में सोवियत संघ के विघटन से वो कमजोर पड़ गया और शीत युद्ध खत्म हो गया. 

रिहाई के बाद भी रहेगी नजर

एना अमेरिका की पकड़ी गई सबसे मशहूर शीत युद्ध जासूसों में से एक है, जिन्हें 20 साल से अधिक  हिरासत में रखने के बाद 6 जनवरी 2023 जेल से रिहा कर दिया गया है. टेक्सस फोर्ट वोर्थ के फेडरल जेल से उन्हें उनके अच्छे व्यवहार को देखते हुए रिहा किया गया है. हालांकि उनकी इस रिहाई के बाद भी उन पर सख्त नजर रखी जाएगी.

मोंटेस अपनी रिहाई के बाद भी 5 साल तक निगरानी में रहेंगी और उनके इंटरनेट इस्तेमाल की निगरानी की जाएगी. यहीं नहीं उनके सरकार के लिए काम करने या बगैर मंजूरी के विदेशी एजेंटों से संपर्क करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.

एना पर साल 1985 में डीआईए में शामिल होने से पहले ही क्यूबाई लोगों के लिए काम करने का आरोप लगाए गए थे. अपनी गिरफ्तारी से पहले एना क्लीवलैंड पार्क वॉशिंगटन डीसी में दो बेडरूम के फ्लैट में रहती थी.

सितंबर 2001 में अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को एक टिप मिली थी कि एक सरकारी कर्मचारी क्यूबा के लिए जासूसी कर रहा है. इसके बाद एना को हिरासत में लिया गया. उसे गिरफ्तार करने वाले एफबीआई एजेंटों में से एक पीट लैप के मुताबिक वह गिरफ्तारी के वक्त भी साहसी बनी रहीं थीं.

लैप ने सीबीएस न्यूज को बताया कि उन्हें नहीं लगता कि एना क्यूबा के एजेंटों के साथ फिर से संपर्क जोड़ने की कोशिश करेंगी. लैप ने कहा, "उसकी जिंदगी का वह हिस्सा खत्म हो गया है. एना ने जो करना था कर दिया, लेकिन मैं नहीं समझता कि वो अब खुद की आजादी को खतरे में डालने की कल्पना भी करेंगी." 

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