(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
PoK में फिर पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन, लोगों ने UN की गाड़ी रोक लगाए 'आजादी' के नारे
Anti-Pakistan Protests In PoK: पीओके क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन आजकल आम बात हो गई है. इससे पहले स्कार्दू, गिलगित और कुछ अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
Anti-Pakistan Protests In PoK: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के निवासियों ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के वाहन (Vehicle) को रोक कर नारेबाजी की. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक यूएन की गाड़ी के सामने लोगों ने 'पाकिस्तानी सेना वापस जाओ', 'हमें आजादी चाहिए' और 'कश्मीर में हत्या बंद करो' के नारे लगाए. विरोध का वीडियो साझा करते हुए, एक गुमनाम व्यक्ति ने ट्वीट किया, "पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लोग पाकिस्तानी सेना वापस जाओ, हम आजादी चाहते हैं और कश्मीर में हत्या बंद करो के नारे लगा रहे हैं, सड़क के बीच में संयुक्त राष्ट्र का वाहन रोक रहे हैं. ”
पीओके क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन आजकल आम बात हो गई है. बाद-ए-शिमल अखबारके मुताबिक इससे पहले अंजुमन-ए-इमामिया, मजलिस-ए-वहदत-उल-मुस्लिमीन, नागरिक समाज और जमात-ए-इस्लामी, के समर्थन से स्कार्दू, गिलगित और कुछ अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
सरकार ने गिरफ्तार लोगों की रिहाई का आश्वासन दिया
हालांकि सरकार ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया है कि गिरफ्तार व्यक्तियों को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा, लेकिन लोड शेडिंग, मुद्रास्फीति और भूमि के पट्टे जैसे कई बुनियादी मुद्दों को युद्ध स्तर पर संबोधित करने की आवश्यकता है. गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) सरकार समस्याओं से निजात पाने का रास्ता तलाशने के गंभीर प्रयास नहीं कर रही है.
स्थानीय मीडिया ने बताया कि अगर इमामिया समुदाय (Imamia Community) के सदस्यों की गिरफ्तारी का मामला जल्द से जल्द नहीं सुलझाया गया तो यह सरकारी रिट के लिए एक चुनौती होगी जो बहुत कमजोर दिख रही है. गिलगित बाल्टिस्तान के लोग पिछले 74 वर्षों से कब्जे वाले क्षेत्र में शक्तियों के दुरुपयोग के लिए पाकिस्तान (Pakistan) का विरोध कर रहे हैं. हाल ही में, लोगों ने 13 अक्टूबर, 2005 को 13 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए गिलगित में विरोध प्रदर्शन किया. 2009 में, एक सैन्य अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
जाफरिया समुदाय ने भी लिया विरोध प्रदर्शन में हिस्सा
इससे पहले सोमवार को जाफरिया समुदाय के प्रमुख आगा राहत हुसैन अल-हुसैन ने उम्र कैद की सजा पाने वाले 13 युवकों की रिहाई पर चिंता व्यक्त की थी. स्थानीय मीडिया ने बताया के मुताबिक अंजुमन-ए-इमामिया ने भी इस मुद्दे पर विरोध किया क्योंकि मौजूदा गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार ने दो महीने में उनकी रिहाई का वादा किया था, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जाफरिया समुदाय की महिलाओं और बच्चों ने छठे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रखा और शिया नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर इस मुद्दे का समाधान नहीं किया गया और 13 पुरुषों को रिहा नहीं किया गया, तो हर जगह विरोध प्रदर्शन होगा.
गिलगित-बाल्टिस्तान की संवैधानिक स्थिति और अधिकारों के बारे में आगे की बातचीत की मांग जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान के उपाध्यक्ष और मिल्ली याकजेहटी काउंसिल सेक-जनरल लियाकत बलूच द्वारा की गई है. उन्होंने कहा कि पार्टी गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों के अधिकारों के साथ-साथ गिलगित-बाल्टिस्तान में संवैधानिक दर्जे के लिए संघर्ष जारी रखेगी.
पाकिस्तानी अधिकारियों (Pakistani Authorities) ने रणनीतिक रूप से स्थित गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रोविजनल प्रांतीय दर्जा (Provisional Provincial Status) देने के लिए एक कानून (26वां संविधान संशोधन विधेयक) को अंतिम रूप दिया है. गिलगित-बाल्टिस्तान अब एक स्वायत्त क्षेत्र है और बिल पास होने के बाद यह देश का 5वां प्रांत बन जाएगा.
इसे भी पढ़ेंः-