Ukraine नहीं इस क्षेत्र पर US का ध्यान, विदेश मंत्री ब्लिंकन बोले- जो कुछ यहां घटेगा उससे शताब्दी का रुख तय होगा
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की चिंताओं के बावजूद अमेरिका का ध्यान इस क्षेत्र में अपने दीर्घकालिक हितों पर केंद्रित है.
कैनबरा: अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की चिंताओं के बावजूद अमेरिका का ध्यान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने दीर्घकालिक हितों पर केंद्रित है. ब्लिंकन इस समय ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में हैं जहां शुक्रवार को उनके ऑस्ट्रेलियाई, भारतीय और जापानी समकक्षों के साथ एक बैठक होनी है. यह चार देश, हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के गठबंधन “क्वाड” का हिस्सा हैं जिसे चीन के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से बनाया गया था.
ब्लिंकन ने बुधवार को ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के बाद अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में कहा, “दुनिया में अभी कुछ अन्य प्रकार की चीजें चल रही हैं. रूस द्वारा यूक्रेन पर संभावित आक्रमण हमारे लिए एक चुनौती है. हम उस पर 24 घंटे सात दिन काम कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, “लेकिन हमें पता है कि राष्ट्रपति किसी और से अधिक इस बात को समझते हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जो कुछ भी घटेगा उससे इस शताब्दी का रुख तय होगा.” ब्लिंकन ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र विश्व में सबसे ज्यादा तेजी से विकास करने वाला क्षेत्र है जहां से पिछले पांच साल में वैश्विक अर्थव्यवस्था में हुई वृद्धि का दो तिहाई हिस्सा आया.
बैठक से पहले भड़का चीन
शुक्रवार को क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक (Quad Foreign Ministers' meeting) से पहले चीन (China) ने बुधवार को कहा कि वह गठबंधनों के बीच टकराव पैदा करने के लिए ‘विशेष गठबंधन’ बनाने के खिलाफ है और चार देशों के गठबंधन को क्षेत्रीय देशों के बीच दरार डालना बंद करना चाहिए.
चीनी विदेश मंत्रालाय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘चीन गठबंधनों के बीच टकराव पैदा करने के लिए ‘विशेष गठबंधन’ बनाने के खिलाफ हैं.’ वह मेलबर्न में शुक्रवार को क्वाड के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
लिजियान ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका और संबंधित देश स्थिति की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त कर सकें, आराम महसूस कर सकें, शीत युद्ध की मानसिकता को त्याग पाएं, क्षेत्रीय देशों के बीच दरार डालना बंद करें और क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि सुनिश्चित करने में योगदान दें.’
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