Malaysia PM Anwar Ibrahim: मलेशिया में सुधार आंदोलन के सबसे बड़े नेता रहे अनवार इब्राहिम प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं. अनवार कई बार पीएम की कुर्सी के करीब पहुंचे, लेकिन कभी भी इस पर बैठने का मौका उन्हें नहीं मिला. इसीलिए ये कहा जा सकता है कि यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई सालों तक इंतजार किया. कई बार जेल जाने और तमाम गंभीर मामले दर्ज होने के बावजूद वो एक मजबूत विपक्षी नेता के तौर पर उभरे और अब उन्हें आखिरकार इसका इनाम मिला है. अनवार इब्राहिम की मलेशिया के पीएम के तौर पर नियुक्ति को भारत के नजरिए से भी काफी खास माना जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें पीएम चुने जाने की बधाई दी. आइए समझते हैं कि अनवार के शासन में भारत और मलेशिया के रिश्तों में क्या बदलाव आ सकते हैं.
कौन हैं अनवार इब्राहिम?
अनवार इब्राहिम की इमेज एक क्रांतिकारी नेता के तौर पर रही है, जिन्होंने हर मोर्चे पर सरकार की नीतियों का विरोध किया. अपनी इसी इमेज के चलते पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के कार्यकाल में उन्हें जेल जाना पड़ा. उन्हें सबसे पहले एक तेज तर्रार छात्र नेता के तौर पर पहचान मिली. बाद में उन्होंने राजनीतिक पार्टी यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गनाइजेशन (यूएमएनओ) ज्वाइन कर ली. साल 1993 में महातिर सरकार में ही डिप्टी पीएम बनाया गया. लेकिन कुछ ही सालों बाद इन दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों को लेकर विवाद शुरू हो गया.
1998 में उन्हें पद से हटा दिया गया, इसके बाद से ही इब्राहिम ने महातिर के खिलाफ मुहिम छेड़ दी. बाद में सोडोमी और भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें गिरफ्तार किया गया और सालों तक जेल में बंद कर दिया. इसके बाद साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें रिहा किया गया. इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी को मजबूती देने का काम किया और आज सत्ता अपने नाम कर ली.
मलेशिया से कैसे रहे हैं रिश्ते?
भारत और मलेशिया के बीच यूं तो रिश्ते काफी ज्यादा खराब नहीं रहे हैं, लेकिन कूटनीतिक और व्यापारिक रिश्तों को लेकर चर्चा होती रही है. हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के कुछ बयानों के चलते मलेशिया के साथ रिश्तों में कड़वाहट जरूर आई थी. महातिर ने सीएए-एनआरसी को लेकर भारत के फैसले पर सवाल उठाए थे और आलोचना की थी. इसके अलावा जब आर्टिकल 370 को हटाया गया तो इसे लेकर भी उनकी तरफ से आपत्ति जताई गई. इसके बाद भारत ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा था कि वो आतंरिक मामले में दखल न दें.
इसी बीच भारत ने मलेशिया से होने वाले पाम ऑयल आयात पर लगभग पूरी तरह रोक लगा दी. इसे लेकर दोनों देशों के बीच लंबा विवाद चला. महातिर मोहम्मद की तरफ से बयान आया कि चाहे उन्हें कितना भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़े वो गलत चीजों को लेकर बोलते रहेंगे. इसके अलावा विवादित स्कॉलर जाकिर नाइक को लेकर भी भारत और मलेशिया में तनातनी हुई थी. भारत सरकार ने महातिर से कहा था कि वो जाकिर नाइक को सौंप दे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया, जिसने कड़वाहट को और ज्यादा बढ़ाने का काम किया.
हालांकि बाद में महातिर मोहम्मद को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा और मोहिउद्दीन यासीन ने पीएम पद की शपथ ली. इसके बाद यासीन ने भारत के साथ रिश्तों में सुधार की पहल शुरू की. इसे लेकर दोनों ही देशों के राजनयिकों के बीच कई बार बातचीत भी हुई.
किस आधार पर सुधर सकते हैं रिश्ते?
अनवार इब्राहिम के पीएम बनने से मलेशिया और भारत के रिश्तों में सुधार आ सकता है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि अनवार एक सुधारवादी नेता हैं, जो इस्लामिक आधार पर फैसले लेने की बजाय विकास पर ज्यादा जोर देते हैं. महातिर मोहम्मद की वजह से भारत समेत जिन भी देशों से मलेशिया के रिश्ते खराब हुए अब उन्हें सुधारने की कोशिश की जा सकती है. जब महातिर के बयानों से भारत के साथ रिश्तों में दरार आई थी तो विपक्ष में बैठे अनवार इब्राहिम ने बातचीत से संबंधों को सुधारने की बात कही थी.
इसके अलावा विवादित स्कॉलर जाकिर नाइक को लेकर भी बात बन सकती है. अनवार इब्राहिम से बातचीत कर भारत जाकिर को वापस लाने की कोशिश कर सकता है. हाल ही में फीफा वर्ल्ड कप में बुलाने को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद कतर सरकार ने कहा था कि उनकी तरफ से नाइक को इनवाइट नहीं किया गया था.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अनवार इब्राहिम को जो बधाई संदेश दिया, उसमें इस बात की साफ झलक दिखाई दी कि दोनों देशों के रिश्तों में किस तरह और ज्यादा मिठास आ सकती है. पीएम मोदी ने अपने बधाई वाले ट्वीट में कहा कि "अनवार इब्राहिम को प्रधानमंत्री चुने जाने की बधाई... मैं भारत और मलेशिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को और ज्यादा मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं."
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