UAE में नाजी के अत्याचारों को पढ़ेंगे बच्चे, जानें क्यों अरब राष्ट्र ने अपने स्कूलों में होलोकॉस्ट को पढ़ाने का चुना विकल्प
Holocaust: अरब देशों में सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में नाजी अत्याचारों पर शिक्षण काफी हद तक अनुपस्थित रहा है. यरुशलम में होलोकॉस्ट स्मारक म्यूजियम Yad Vashem नया पाठ्यक्रम बनाने में मदद करेगा.
UAE To Teach Nazi Holocaust in Schools: संयुक्त अरब अमीरात जल्द ही अपने स्कूलों में नाजी अत्याचारों की भयावहता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करेगा. नाजी अत्याचारों को स्कूली बच्चों को पढ़ाने वाला यूएई (UAE) पहला अरब राष्ट्र बन जाएगा. इस ऐतिहासिक कदम की प्रशंसा के साथ आलोचना भी की जा रही है. संयुक्त राज्य अमेरिका में देश के दूतावास ने पिछले हफ्ते ट्वीट किया था कि यूएई प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के लिए होलोकॉस्ट शिक्षा (Holocaust Education) को पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बना रहा है.
यूएई (United Arab Emirates) का कहना है कि वह स्कूल शिक्षा में शांति और सांस्कृतिक सहिष्णुता की निगरानी के लिए तेल अवीव और लंदन स्थित संस्थान के साथ मिलकर काम करेगा.
नाजी अत्याचारों को पढ़ेंगे स्कूली बच्चे!
टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यरुशलम में होलोकॉस्ट स्मारक म्यूजियम 'याद वाशेम' नया पाठ्यक्रम बनाने में मदद करेगा. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार संगठन के प्रवक्त सिम्मी एलेन ने कहा, "अब हमारे पास नए लोगों तक पहुंचने का अवसर है और 'याद वाशेम' अरब भाषी दुनिया में होलोकॉस्ट जागरूकता लाने का रास्ता खोलने के लिए काम कर रहा है. ज्यादातर अरब भाषी दुनिया में हाल तक, याद वाशेम के साथ नरसंहार और अत्याचारों के बारे में बहुत कम या कोई संवाद नहीं था."
होलोकॉस्ट स्मारक का दौरा
अरब देशों में सरकारी स्कूल पाठ्यक्रम से नाजी अत्याचारों को लेकर शिक्षण काफी हद तक अनुपस्थित रहा है. यूएई के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायद ने 2020 के अंत में अपने इजराइली समकक्ष के साथ बर्लिन के मुख्य होलोकॉस्ट स्मारक का दौरा किया था. 2021 में अरब क्षेत्र में पहली होलोकॉस्ट स्मारक प्रदर्शनी दुबई में खुली और पिछले साल विदेश मंत्री ने 'याद वाशेम' का दौरा किया, जहां उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित की.
अब्राहम समझौते का परिणाम
वाशिंगटन में अरब गल्फ स्टेट्स इंस्टीट्यूट के सीनियर रेजिडेंट स्कॉलर क्रिस्टिन स्मिथ दीवान ने बताया कि ये कदम अब्राहम समझौते का एक स्वाभाविक परिणाम है. हालांकि, ये साफ नहीं है कि यूएई का कदम केवल सरकार की ओर से संचालित स्कूलों पर लागू होगा या देश के सैकड़ों निजी स्कूलों पर भी लागू होगा.
पाठ्यक्रम की आलोचना
विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, संयुक्त अरब अमीरात की करीब 10 मिलियन आबादी का लगभग 90% प्रवासी हैं, जिनमें से कई अपने बच्चों को निजी तौर पर चलने वाले स्कूलों में भेजते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं. इसमें अक्सर होलोकॉस्ट शिक्षा शामिल होती है. यूएई के एक प्रमुख टिप्पणीकार और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर अब्दुल खालिक अब्दुल्ला ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं थी.
पाठ्यक्रम का नियंत्रण इजराइल को सौंपने का आरोप
संयुक्त अरब अमीरात के बाहर अरबों की कई प्रतिक्रिया अहम थीं. कुछ ने देश पर अपने पाठ्यक्रम का नियंत्रण इजराइल को सौंपने का आरोप लगाया, जबकि अन्य ने सवाल किया कि क्या यह फिलिस्तीनियों, विशेष रूप से नाकबा के इतिहास को पढ़ाने की कीमत पर आएगा. नाकबा, जिसका अर्थ अरबी में तबाही है. ये 1948 में इजराइल की स्थापना को संदर्भित करता है, जिसने लगभग 700,000 फिलिस्तीनियों को अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर किया.
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