Arakan Army Captured Rakhaine Province in Myanmar : म्यांमार में सैन्य सरकार (जुंटा) और विद्रोही समूह अराकान आर्मी (AA) के बीच जारी गृह युद्ध में एक अहम मोड़ आया है. विद्रोही समूह अराकान आर्मी ने म्यांमार के रखाइन प्रांत के अधिकतम हिस्सों को अपने कब्जे में ले लिया है. इससे बांग्लादेश के साथ लगने वाली म्यांमार सीमा पर अराकान आर्मी के कंट्रोल हो गया है. जिसका सीधा असर बांग्लादेश पर पड़ रहा है. बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर अराकान आर्मी के नियंत्रण की वजह से ढाका ने मुसलमान शरणार्थियों को लेकर चिंता जाहिर की है.
वहीं, इस घटना के बाद भारत भी चिंता में पड़ गया है. भारत को आशंका है कि म्यांमार की इस घटना का असर उसके पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी हो सकता है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 15 महीनों में अराकान आर्मी ने दर्जनों कस्बों और सैन्य चौकियों पर कब्जा करके अपने दबदबे को बढ़ाया है. वहीं, जुंटा की स्थिति इससे कमजोर पड़ती हुई दिख रही है.
2017 में हजारों लोग म्यांमार से बांग्लादेश और भारत भागे
साल 2017 में म्यांमार सेना ने रोहिंग्या गांवों पर क्रूर कार्रवाई की थी. जिसके बाद हजारों लोग सीमा पार कर पड़ोसी देश बांग्लादेश भाग गए और कई लोग भारत भी पहुंचे. विदेश और सुरक्षा नीति विश्लेषक श्रीपति नारायणन ने कहा, “रोहिंग्या पर विद्रोही गुट अराकान आर्मी भी हमलावर है, ऐसे में पड़ोसी देशों में शरणार्थियों को लेकर समस्य़ा बढ़ सकती है.”
भारत के सामने बढ़ गई चुनौती
भारत के पूर्वोत्तर राज्य विशेषकर मणिपुर में बीते 20 महीनों में म्यांमार से ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों के आने से समस्याएं जटिल हो गई है. भारत को इस बात का भी डर है कि म्यांमार के विद्रोही समूहों की वजह से कहीं आधुनिक हथियार पूर्वोत्तर राज्य में सक्रिय विद्रोही गुटों तक न पहुंच जाएं. वहीं, म्यांमार के विद्रोही समूह पैसा जुटाने के लिए नशीली दवाओं के तस्करी पर जोर दे रहा है, जो भारत के लिए एक और समस्या है. इसे देखते हुए भारत ने म्यांमार सीमा पर आवाजाही के नियमों को भी सख्त किया है.
समस्या को सुलझाने की कोशिश में लगा है भारत
भारत की पड़ोसी देश में उत्पन्न समस्या को सुलझाने के लिए भारत म्यांमार के विद्रोही समूह और सैन्य सरकार, दोनों के साथ वार्ता कर रहा है. इसके लिए भारत सरकार ने अपने राजनयिक चैनल को शुरू किया है.
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