भारत से तनाव के बीच इस देश ने बढ़ाई युनूस सरकार की टेंशन, बांग्लादेश की जमीन पर कर लिया कब्जा
Bangladesh Myanmar Border Tension: साल 2021 में म्यांमार की सत्ता में सेना ने कब्जा कर लिया था. इसके बाद सेना के खिलाफ देश भर में कई गुट एक ताकत के तौर पर उभरे हैं. देश के हालात गृहयुद्ध के हैं.
Bangladesh Myanmar Border Tension: बांग्लादेश की नई सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. पिछले हफ़्ते से म्यांमार की बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था में नाटकीय बदलाव आया है, क्योंकि जुंटा ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण खो दिया है, जिसका भारत पर भी असर हो सकता है. म्यांमार के सभी विद्रोही समूहों में सबसे बड़ा अराकान आर्मी अब रखाइन प्रांत (बांग्लादेश की सीमा से सटा) के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर रहा है, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम है.
म्यांमार और बांग्लादेश को विभाजित करने वाली 270 किलोमीटर लंबी सीमा पर जुंटा (म्यांमार की सेना) का नियंत्रण खत्म हो गया है. ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि अराकान आर्मी अब म्यांमार-बांग्लादेश सीमा के साथ बांग्लादेश के भीतर के क्षेत्रों को नियंत्रित करता है और इससे बांग्लादेश सेना और अराकान आर्मी के बीच टकराव हो सकता है और इस इलाके में सुरक्षा स्थिति और जटिल हो सकती है.
'बांग्लादेश की ओर भाग रहे मुसलमान'
इसके अलावा अराकान सेना ने नफ नदी के पार आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया है. अराकान सेना ने दावा किया है कि पुलिस और म्यांमार सेना से संबद्ध स्थानीय मुसलमान बांग्लादेश भागने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या है अराकन आर्मी?
साल 2021 में म्यांमार की सत्ता में सेना ने कब्जा कर लिया था. इसके बाद सेना के खिलाफ देश भर में कई गुट एक ताकत के तौर पर उभरे हैं. फिलहाल देश के हालात गृहयुद्ध की तरह हैं. म्यांमार के गृह युद्ध में मिलिटरी प्रशासन के खिलाफ तीन गुटों का एक गठबंधन है. ये गठबंधन देश के अलग अलग इलाकों में कब्जा कर चुका है. इस गठबंधन में म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (एमएनडीएए), तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (पूर्वी म्यांमार) और अराकान आर्मी (पश्चिमी म्यांमार) शामिल हैं.
म्यांमार में रखाइन समुदाय के सदस्यों ने 2009 में अराकान आर्मी का गठन किया गया था, जिसका नेतृत्व पूर्व छात्र एक्टिविस्ट त्वान मरात नाइंग ने किया था. वह उत्तरी म्यांमार में कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) के साथ शरण चाहते थे. शुरुआत में इस समूह का मकसद रखाइन में एक स्वायत्त सरकार की थी, जो केंद्र की सरकार से कुछ अधिकारों की मांग के लिए हथियार उठा चुकी थी. लेकिन जब म्यांमार की सेना जुंटा ने सरकार का तख्तापलट कर दिया तब से अराकान आर्मी इसके खिलाफ मोर्चा खोले रखती है.
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