BRICS Membership: दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना के नए राष्ट्रपति जेवियर मिलेई ने ब्रिक्स देशों में शामिल होने के फैसले से इनकार कर दिया है. इसी साल अगस्त में ब्रिक्स देशों ने ब्रिक्स प्लस के तर्ज पर कई देशों को ग्रुप का सदस्य बनने का न्योता दिया था. 'ब्रिक्स प्लस' में जिन देशों को शामिल किया गया था उनमें अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई शामिल हैं.
सभी देशों को जनवरी में आधिकारिक तौर पर ब्रिक्स की सदस्यता दी जानी थी लेकिन इससे पहले ही अर्जेंटीना ने ब्रिक्स में शामिल होने के फैसले से हाथ खींच लिया है. अगस्त में जब अर्जेंटीना को इस समूह में जुड़ने का न्योता दिया गया था तब तत्कालीन राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज ने इसे अर्जेंटीना के लिए 'नया मौका' बताया था. उस वक्त उन्होंने कहा था कि देश आर्थिक संकट और महंगाई से जूझ रहा है, इसलिए ब्रिक्स में शामिल होने के बाद देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा. मगर अब नए राष्ट्रपति जेवियर मिलेई ब्रिक्स में शामिल होने के फैसले के खिलाफ हैं.
चुनावी कैंपेन में किया था वादा
जेवियर मिलेई ने अपनी चुनावी कैंपेन के दौरान लोगों से वादा किया था कि वह अगर राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो वह अर्जेंटीना को ब्रिक्स में शामिल नहीं होने देंगे. उन्होंने चुनावी कैंपेन के दौरान कहा था कि वे किसी कम्यूनिस्ट देश के साथ आर्थिक संबंध नहीं रखेंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा था कि वे चीन से संबंध तोड़ लेंगे. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, मिलेई ने चीन पर उनके प्रतिद्वंदी सर्गियो मासा के पक्ष यू-ट्यूब ऐड चलाने का आरोप लगाया था.
चीन के लिए बुरी खबर
फिलहाल ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. इस समूह को चीनी दबदबे वाला समूह माना जाता है. लेकिन अगर अर्जेंटीना अचानक से इस समूह में शामिल होने से पीछे हट जाता है तो वैश्विक स्तर पर चीन के प्रभाव पर सवाल उठेंगे.
भारतीय सुरक्षा परिषद के पूर्व सलाहकार प्रोफेसर ब्रह्मा चेलानी ने एक्स पर लिखा, "ये चीन के लिए राजनयिक फजीहत है, जिसने ब्रिक्स को 5 सदस्यों से बढ़ाकर 11 करने की वकालत की थी लेकिन अर्जेंटीना की नई सरकार ब्रिक्स में शामिल होने के न्यौते को स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि उसे इससे कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है."
उन्होंने लिखा, "हाल ही में चीन ने पाकिस्तान को भी ब्रिक्स की सदस्यता दिलाने की वकालत की थी. ऐसा लगता है जैसे पूरे समूह का दारोमदार चीन पर ही है."
'ब्रिक्स में नहीं दिख रहा फायदा'
जेवियर मिलेई की विदेश मामलों की प्रमुख सलाहकार ने रूसी समाचार एजेंसी स्पूतनिक न्यूज़ से कहा,"हमें समूह के शामिल होने के पीछे कोई हित नहीं दिख रहा है. अगर भविष्य में हमें लगता है कि इसमें शामिल होना चाहिए तो हम जरूर सोचेंगे."
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