येरेवान. विवादित क्षेत्र नागोरनो-काराबाख को लेकर अर्मेनिया और अजरबैजान के सैनिकों के बीच भारी संघर्ष बुधवार को चौथे दिन भी जारी रहा. दशकों पुराने संघर्ष में कई लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल हुए हैं.

अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि बुधवार की सुबह अर्मेनियाई बलों ने तरतार शहर में गोलाबारी शुरू की जिससे नागरिक बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा और कई लोग घायल हो गए. अर्मेनियाई अधिकारियों ने आरोप लगाया कि तुर्किश ड्रोनों और एफ-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया. नागोरनो-काराबाख में रविवार को संघर्ष शुरू हुआ था और दुनियाभर से संघर्ष विराम की अपीलों के बाजवूद यह जारी है.

इस बीच तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कैवुसोग्लू ने बुधवार को कहा कि यदि अजरबैजान सहायता का अनुरोध करता है तो वह उपलब्ध कराने को तैयार है. गौरतलब है कि अधिकतर पहाड़ी इलाके से घिरा नागोरनो-काराबाख 4,400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और अर्मेनिया की सीमा से करीब 50 किलोमीटर दूर है. अर्मेनिया की सेना से समर्थन पाकर स्थानीय लोगों ने अजरबैजान के कुछ इलाकों पर भी कब्जा कर रखा है.

बता दें कि नागोरनो काराबाख इलाके की बहुसंख्यक आबादी अर्मेनियाई मूल की है. सोवियत यूनियन के तानाशाह स्टालिन ने यह हिस्सा अजरबैजान में मिला दिया था. तब से ही लगभग 100 सालों से इस क्षेत्र को लेकर विवाद है. सोवियत यूनियन के विघटन के बाद अर्मेनिया और अजरबैजान इस इलाके के लिए कई छोटे-बड़े युद्ध लड़ चुके हैं.

इस बीच तुर्की की शह पर पाकिस्तान की भूमिका भी इस युद्ध में सामने आ रही है. अर्मेनिया इंटेलीजेस ने जब अजरबैजान के कुछ संदिग्ध लोगों के फोन कॉल इंटरसेप्ट किए तो एक बडा खुलासा ये हुआ कि अजरबैजान की तरफ से लड़ने के लिए पाकिस्तान ने अपने भाड़े के लोगों को भेजा हुआ है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक अपने आका चीन और तुर्की को खुश करने के लिए पाकिस्तान की तरफ से पांच सौ से ज्यादा लड़ाके अजरबैजान भेजे गए हैं और इनमें पाकिस्तान की स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप के रिटायर्ड कंमाडोज और अलबदर के आंतकवादी शामिल हैं.