नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रंगला की दो दिवसीय म्यांमार यात्रा समाप्त हो गई है. कूटनीतिक तौर पर बेहद अहम मानी जा रही यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब सीमा पर चीन से तनातनी के हालात बने हुए हैं. इस यात्रा के दौरान कई अहम समझौते हुए जो पूर्वोत्तर भारत के विकास के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है.


सेना प्रमुख और विदेश सचिव ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और कमांडर इन चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेज सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग से मुलाकात की. सेना प्रमुख जनरल नरवाणे ने वाइस सीनियर जनरल सो विन, डिप्टी कमांडर-इन-चीफ, म्यांमार सशस्त्र सेवाओं से भी मुलाकात की.


यात्रा के दौरान विदेश सचिव  श्रंगला म्यांमार के विदेश मंत्रालय के स्थाई सचिव यू सो हान से भी मिले. दोनों पक्षों ने कनेक्टिविटी परियोजनाओं, क्षमता निर्माण, बिजली और ऊर्जा में अपनी साझेदारी को और मजबूत करने, आर्थिक और व्यापार संबंधों को गहरा करने, लोगों को आगे और सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने और तीनों सेवाओं में अपने रक्षा आदान-प्रदान को व्यापक आधार देने पर रजामंदी जताई.


कोविड19 सहायता
कोरोना महामारी द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को दूर करने के लिए सहयोग को गहरा करने पर भी सहमति हुई. भारत ने रेमेडिसविर की 3000 वायल स्टेट काउंसलर के सामने पेश किया, जो महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में म्यांमार की सहायता करने की भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. विदेश सचिव ने भारत के म्यांमार को प्राथमिकता देने का संकेत दिया कि वे उपलब्ध होने पर टीकों को साझा करने में प्राथमिकता देंगे. म्यांमार ने 31 दिसंबर, 2020 तक की अवधि के लिए G-20 ऋण सेवा निलंबन पहल के तहत ऋण सेवा राहत प्रदान करने के भारत के फैसले की सराहना की.


कनेक्टिविटी परियोजनाएं
दोनों पक्षों ने भारत की मदद से त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट जैसी चल रहे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की कार्य प्रगति समीक्षा भी की. दोनों पक्षों के बीच यमुथिन महिला पुलिस अकादमी, बुनियादी तकनीकी प्रशिक्षण स्कूल के उन्नयन और म्यांमार सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे प्रोजेक्ट्स पर भी काम शुरू करने को लेकर विचार-विमर्श हुआ. भारत और म्यांमार के बीच हुए इस उच्च स्तरीय सम्पर्क में दोनों देश 2021 की पहली तिमाही में राखाइन राज्य में सितवे पोर्ट के परिचालन की दिशा में काम करने के लिए सहमत हुए हैं.


रोहिंग्या समस्या समाधान
दोनों पक्षों ने राखाइन राज्य विकास कार्यक्रम (आरएसडीपी) के तहत हुई काफी प्रगति का उल्लेख किया और कौशल प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना सहित कार्यक्रम के तीसरे चरण के तहत अंतिम रूप देने वाली परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा. यात्रा के दौरान, आरएसडीपी के तहत कृषि मशीनीकरण और उन्नयन संबंधी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए. विदेश सचिव ने विस्थापितों के सुरक्षित, स्थाई और शीघ्र वापसी सुनिश्चित करने के लिए भारत के समर्थन को भी दोहराया.


सीमा-सहयोग
दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा सहयोग और स्थिरता बनाए रखने पर चर्चा की. इसके लिए अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए अपने संबंधित क्षेत्रों को एक-दूसरे के खिलाफ़ गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने की बात भी दोहराई. भारतीय पक्ष ने उग्रवादी गुटों के 22 कैडरों को सौंपने के लिए म्यांमार की प्रशंसा की.


भारत ने चिन राज्य में ब्येनु / सरिसचौक में सीमा हाट पुल के निर्माण के लिए 2 मिलियन अमरीकी डालर देने की घोषणा की, जो मिज़ोरम और म्यांमार के बीच बढ़ी हुई आर्थिक कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. म्यांमार से 31 मार्च 2021 तक आयात के लिए 1.5 लाख टन उड़द (विग्ना मुंगो) का कोटा भी घोषित किया गया है। इसके साथ ही म्यांमार में सॉफ्टवेयर विकास और प्रशिक्षण के लिए भारत उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित करेगा. विदेश सचिव ने म्यांमार विदेश मंत्रालय के स्थायी सचिव, यू सो हान, के साथ ने पी डॉ में दूतावास संपर्क कार्यालय का भी उद्घाटन किया.


सांस्कृतिक सहयोग
म्यांमार पक्ष ने 2016 के भूकंप में क्षतिग्रस्त हुए बागान पैगोडा की मरम्मत समेत सांस्कृतिक विरासत संरक्षण कार्य में भारत से मिली सहायता की सराहना की. दोनों पक्षों ने लोकमान्य तिलक की 100वीं पुण्यतिथि मनाने के लिए मांडले जेल में उनकी एक मूर्ती लगाने को लेकर भी बात की जहां उन्होंने 'गीता रहस्य' पुस्तक लिखी थी.


पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों में सराहनीय प्रगति की है और तेल, गैस,बिजली, बुनियादी ढांचा और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में निवेश सहित सहयोग के नए रास्ते तलाशे हैं. भारतीय पावर ग्रिड और म्यांमार ग्रिड के बीच एक उच्च क्षमता उच्च वोल्टेज ग्रिड इंटरकनेक्शन स्थापित करने के लिए चर्चा हो रही है. पूर्वोत्तर राज्यों और म्यांमार के बीच कम वोल्टेज रेडियल इंटरकनेक्ट पर भी चर्चाल आगे बढ़ी हैं.