Commanders Conference: पूर्वी लद्दाख में चीन (China) से चल रहे टकराव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने भारतीय सेना (Indian Army) से अपनी ऑपरेशनल तैयारियों को उच्चतम स्तर का रखने का आह्वान किया है. रक्षा मंत्री ने सेना के टॉप कमांर्ड्स को किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार रखने के लिए भी कहा है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (7-11) को संबोधित किया. इस दौरान उन्होने बॉर्डर से लेकर आतंकवादियों से लड़ने के लिए सेना की प्रशंसा की. रक्षा मंत्री ने कहा कि 100 करोड़ से ज्यादा देशवासियों के लिए सेना सबसे भरोसेमंद और प्रेरित करने वाला संगठन है.
फ्यूचर-रेडी फोर्स बन रही है भारतीय सेना
रक्षा मंत्री ने कहा कि सिविल प्रशासन की मदद करने के लिए सेना हमेशा तैयार रहती है. राजनाथ सिंह ने सेना द्वारा आत्मनिर्भर बनने के प्रयासों की भी तारीफ की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इस दौरान सेना ने एक प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत किया जिसमें दिखाया गया था कि कि तरह भारतीय सेना फ्यूचर-रेडी फोर्स बन रही है.
वर्ष में दो बार होने वाला आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस सेना का सबसे उच्च-स्तर का सम्मलेन होता है ताकि सैन्य रणनीति को मिलकर तैयार किया जा सके. इस साल का ये दूसरा संस्करण है. इस दौरान थलसेना प्रमुख, जनरल मनोज पांडे सहित सेना की सभी सातों कमान के कमांडर्स सहित सेना मुख्यालय में तैनात वरिष्ठ सैन्य अधिकारी रक्षा मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स (डीएमए) के अधिकारियों से भी गंभीर विषयों पर चर्चा कर रहे हैं.
अंडमान के कमांडर भी ले रहे हैं हिस्सा
अंडमान निकोबार कमान के कमांडर भी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा ले रहे हैं. सम्मलेन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीडीएस जनरल अनिल चौहान सहित नौसेना और वायुसेना के प्रमुख भी संबोधित कर रहे हैं ताकि सेना के तीनों अंगों में ट्राई-सर्विस सिनेर्जी बढ़ाई जा सके.
किस मुद्दे पर हो रही है कॉन्फ्रेंस?
राजधानी दिल्ली में पांच दिवसीय आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में इस बार चीन से संबंधों का मुद्दा छाया हुआ है. क्योंकि इस बार के आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में सेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के अलावा सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स को भी संबोधन के लिए बुलाया है. इस बार दो खास विषयों पर विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है. पहला विषय है समकालीन भारत-चीन संबंध और दूसरा है टेक्नोलॉजिकल चैलेंज फॉर नेशनल सिक्योरिटी.
आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच अधिकतर विवादित इलाकों पर डिसइंगेजमेंट तो हो चुका है लेकिन डेमचोक और डीबीओ जैसे पुराने मुद्दों को लेकर तकरार जारी है. इसके अलावा चीन की पीएलए सेना डि-एस्कलेशन और डि-इनडक्शन के लिए भी अभी तैयार नहीं है.
लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाएगा चीन
एलएसी के करीब ही चीन के 50-60 हजार सैनिक, टैंक, तोप और मिसाइल अभी भी तैनात हैं. एलएसी से सटे इलाकों में चीन अभी भी अपने एयर-बेस मजबूत करने और वहां लड़ाकू विमानों की संख्या लगातार बढ़ा रहा है. हाल ही में आई रिपोर्ट्स की मानें तो पूर्वी लद्दाख से सटे तिब्बत और अक्साई-चिन इलाकों में चीन अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा है. चीन सीमावर्ती सड़कों को चौड़ा कर रहा है तो अपने सैनिकों के लिए स्थाई बैरक भी तैयार कर रहा है.
चीन ने नई बॉर्डर रोड्स का नाम गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों के नाम पर रखा है. ऐसे में ऐसा लगता है कि चीन स्थाई शांति के लिए तैयार नहीं है. यही वजह है कि भारतीय सेना इस बात पर गहन चर्चा करना चाहती है कि चीन के साथ कैसे संबंध होने चाहिए. इसीलिए सैन्य कमांडर्स के साथ-साथ एक्सपर्ट्स को इस सम्मलेन में बुलाकर उनकी राय जानी जाएगी.
फ्यूचर रेडी फोर्स बनाने पर हो रही है चर्चा
भारतीय सेना ने एक बयान जारी कर बतााय कि पांच दिवसीय सम्मलेन के दौरान भारतीय सेना की टॉप लीडरशिप मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य के परिप्रेक्ष्य में सेना की रणनीति तैयार कर रहे हैं. इस दौरान सेना के फ्यूचर रेडी फोर्स बनाने, सैन्य क्षमता बढ़ाने और आधुनिकिकरण पर खासा चर्चा की जा रही है. इसके अलावा सेना में आत्मनिर्भरता बढ़ाने (स्वदेशी हथियार और सैन्य साजो सामान), नई मानव संसाधन नीति और आधुनिक ट्रेनिंग पर गहन चर्चा की जा रही है.
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