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सेना के दबाव में इस्तीफा दे सकते हैं जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति मुगाबे
पिछले 37 सालों से जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति रहे रॉबर्ट मुगाबे पर स्तीफा देने का दबाव बढ़ता जा रहा है. रॉबर्ट मुगाबे की तानाशाही और निरंकुश सत्ता के खिलाफ लोग व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं
हरारे: पिछले 37 सालों से जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति रहे रॉबर्ट मुगाबे पर स्तीफा देने का दबाव बढ़ता जा रहा है. रॉबर्ट मुगाबे की तानाशाही और निरंकुश सत्ता के खिलाफ लोग व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. अब खबर है जिम्बाब्वे सेना के जनरल राष्ट्रपति मुगाबे पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ाएंगे.
हालांकि जिम्बाब्वे में मुगाबे की सत्ता खत्म होने के आसार दिखने लगे हैं सेना ने इसी हफ्ते देश की सत्ता पर नियंत्रण कर लिया है जिसकी वजह से मुगाबे की सत्ता पर पकड़ खत्म हो चुकी है. 93 वर्षीय मुगाबे ने अपनी 52 वर्षीय पत्नी ग्रेस के प्रतिद्वंद्वी रहे उपराष्ट्रपति एमरसन म्नांगागवा को बर्खास्त कर दिया था जिसके जवाब में सेना ने सत्ता को अपने नियंत्रण में ले लिया था और मुगाबे को नजरबंद कर दिया था.
मुगाबे अब भी राष्ट्रपति पद पर हैं लेकिन उन्हे सेना, जिम्बाब्वे की जनता और सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है. जिम्बाब्वे की सरकारी मीडिया ने घोषणा की कि राष्ट्रपति मुगाबे जिम्बाब्वे के रक्षा बलों के प्रमुखों से कल मुलाकात करेंगे. इससे पहले दोनों पक्षों ने बातचीत के लिए गुरूवार को मुलाकात की थी.
बता दें कि वर्ष 1980 में जिम्बाब्वे की आजादी के बाद से पहली बार इतनी भारी संख्या में भीड़ सड़कों पर उतरी है. मुगाबे की निरंकुश सत्ता का अंत करने की मांग को लेकर लोग हरारे और कई अन्य शहरों में भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
Opinion