लंदन: जूलियन असांजे को झटका देते हुए ब्रिटिश अदालत ने फैसला सुनाया कि विकीलीक्स के संस्थापक के खिलाफ ब्रिटेन का गिरफ्तारी वारंट अब भी वैध है. इस मामले में अंतिम फैसला अगले सप्ताह सुनाया जायेगा. इस फैसले के साफ संकेत हैं कि अगर उन्होंने यहां इक्वाडोर दूतावास छोड़ने का प्रयास किया तो वs गिरफ्तार हो सकते हैं. उन्होंने इस दूतावास में 2012 से शरण ले रखी है.


ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांजे से जुड़े चर्चित मामले में फैसले का इंतज़ार करते हुए कुछ समर्थकों ने लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के बाहर इक्ट्ठे होकर ‘असांजे को आजाद करो’ के बैनर फहराए. लेकिन न्यायाधीश ने फैसला सुनाया, "उनके खिलाफ कोई कार्यवाही लंबित नहीं है लेकिन फिर भी उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया. ऐसे में वारंट के वैध रहना में कुछ भी ‘असामान्य नहीं’ है."


जज ने मामले में अंतिम फैसला सुरक्षित रख लिया और अब 13 फरवरी को अंतिम फैसला सुनाया जायेगा. मुख्य न्यायाधीश एम्मा अर्बुथनोट ने पिछले महीने भी असांजे मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था. खास बात यह है कि शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण से संबंधित मामले की सुनवाई भी यही मुख्य न्यायाधीश कर रही हैं. असांजे के पास फैसले के खिलाफ अपील का विकल्प अब भी खुला हुआ है.


असांजे के वकीलों ने उनके खिलाफ लंबित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के गिरफ्तारी वारंट को रद्द करने का अनुरोध किया था. जून 2012 में अदालत के सामने पेश होने में नाकाम रहने पर असांजे के खिलाफ यह वारंट जारी किया गया था. उन्होंने दलील दी कि इमारत से बाहर जाने से उन्हें सिर्फ यह खतरा रोक रहा है कि उन्हें जमानत शर्तों के उल्लंघन पर स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाएगा.


रेप के आरोपों को लेकर स्वीडन में कार्यवाही अब निरस्त हो चुकी है. उन्होंने दलील दी कि ब्रिटिश गिरफ्तारी वारंट का उद्देश्य ही समाप्त हो चुका है.