दुर्घटना, बीमारी, या बुढ़ापे के कारण लोगों के घुटने में हमेशा दर्द रहने लगता है. जिसकी वजह से उन्हें लगातार तकलीफ रहनी है. अब अमेरिकी विशेषज्ञो ने इस समस्या का हल एक कृत्रिम करकरी हड्डी (Cartilage) की शक्ल में पेश किया है. इसे शुरुआती ट्रायल में बहुत मजबूत, लचकदार और फायदेमंद पाया गया है.


कृत्रिम करकरी हड्डी की खोज


कृत्रिम करकरी हड्डी को ड्यूक यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने एक नई किस्म के हाइड्रोजेल का इस्तेमाल कर बनाया है. जिसकी तैयारी के दौरान तीन अलग-अलग तरह के पॉलीमर इस्तेमाल किए गए. तीन पॉलीमर के मिलाप से तैयार होनेवाली कृत्रिम करकरी हड्डी में प्राकृतिक हड्डी जैसी लचक, हल्का और मजबूत होने का सबूत पाया गया है. शुरुआती प्रयोग के दौरान उसने 100 पौंड का दबाव आसानी से बर्दाश्त कर लिया. इसके अलावा उसे एक लाख बार खींचा और भींचा गया जबकि करीब 10 लाख बार प्राकृतिक करकरी हड्डी के साथ खूब रगड़ा गया. इतने सख्त ट्रायल के बाद भी ये अपनी सही हालत में रही और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा.


शुरुआती ट्रायल के बाद जानवरों पर प्रयोग


शोध पत्रिका ‘एडवांसड फंक्शनल मैटेरियल’ ताजा अंक में खोज के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. जिससे पता चलता है कि लैब में शुरुआती ट्रायल के बाद कृत्रिम करकरी हड्डी का जानवरों पर ट्रायल किया जाएगा. अगर जानवरों में ये ट्रायल कामयाब रहा तो फिर उसका मानव परीक्षण शुरू किया जाएगा. अगर ट्रायल के ये तमाम चरण सफल रहे तो फिर 3-4 साल में ये करकरी हड्डी घुटने की सर्जरी में इस्तेमाल हो सकेगी. गौरतलब है कि इन दिनों घुटने की सर्जरी के लिए कृत्रिम करकरी हड्डियों का इस्तेमाल किया जाता है. कृत्रिम करकरी हड्डियों में मजबूती की कमी होने के साथ हल्की भी होती हैं. साथ ही कम लचकदार पायी जाती हैं.


सर्जरी में डॉक्टरों को मिल सकती है बड़ी मदद


फिलहाल यही उम्मीद जताई जा रही है कि परीक्षण में सफलता के बाद हाइड्रोजेल से बनी ये कृत्रिम करकरी हड्डी उनका बेहतर विकल्प साबित हो सकती है. करकरी हड्डी में चिकनाई की वजह से घुटने मुड़ने में आसानी रहती है. और चलने फिरने, उठने बैठने में भी मुश्किल नहीं होती. हां, किसी दुर्घटना, बीमारी, या बुढ़ापे के साथ-साथ करकरी हड्डी चलने-फिरने और उठने बैठने को मुश्किल  बना देती है.


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