बीजिंग: चीन ने सोमवार को कहा कि भूस्खलन की वजह से तिब्बत में बहाव बाधित होने और आर्टिफिशियल झील बन जाने से यारलुंग सांगपो नदी में बनी बाढ़ की स्थिति अब सामान्य हो गई है. पहले इससे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिये खतरा था. चीन ने यह भी कहा कि वह भारत के साथ बाढ़ के आंकड़े साझा करता रहेगा.


17 अक्टूबर को हुए भूस्खलन के बारे में चीन ने भारत को सूचित किया था जिसके बाद अरूणाचल प्रदेश में सियांग नदी के किनारे बसे लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेज दिया गया. तिब्बत में हुए भू-स्खलन की वजह से यारलुंग सांगपो नदी का प्रवाह बाधित हो गया था और एक आर्टिफिशियल झील बन गई थी. यारलुंग सांगपो नदी को अरूणाचल में प्रवेश के बाद सियांग कहा जाता है और ब्रह्मपुत्र में प्रवेश के बाद इसे ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है.

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शनिवार को अरूणाचल प्रदेश से लगने वाले जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अचानक बाढ़ आने की आशंका को देखते हुए सतर्क रहें और बड़ी आपदा की रोकथाम के लिये सभी संभावित कदम उठाएं.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बताया, "20 अक्टूबर तक नदी का वह खंड जो झील बन गया था वह सामान्य स्थिति में वापस आ गया है। हम भू-स्खलन की स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं और मौजूदा माध्यमों के जरिये भारतीय पक्ष से करीबी संपर्क और संचार बनाए हुए हैं". उन्होंने कहा कि चीन के जल विभाग ने भू-स्खलन के तुरंत बाद भारत को स्थिति से परिचय कराया और आपातकालीन तंत्र के जरिये सूचनाओं का लेन-देन शुरू किया.


हुआ चुनयिंग ने कहा, "हमने 22 अक्टूबर तक भारत के साथ पानी संबंधी सूचनाएं सात बार साझा कीं जबकि 110 आंकड़े भी साझा किये गए. हमने आर्टिफिशियल झील के बहाव के बारे में भी भारतीय पक्ष को जानकारी दी."

चीन ने करीब एक साल के अंतराल के बाद 15 मई से ब्रह्मपुत्र नदी के पानी से जुड़े आंकड़ें भारत के साथ फिर से साझा करने शुरू किये. डोकलाम में पिछले साल गतिरोध के बाद उसने भारत के साथ इन आंकड़ों को साझा करना यह कहते हुए बंद कर दिया था कि तिब्बत में उसके जल केंद्र का उन्नयन किया जा रहा है और आंकड़ों को साझा नहीं किया जा सकता.


नदियों की घाटी में बाढ़ के पूर्वानुमान के लिये आंकड़ों को साझा किया जाना आवश्यक है. मानसून के महीने में ब्रह्मपुत्र में भीषण बाढ़ आती है और इससे पूर्वोत्तर और बांग्लादेश पर असर पड़ता है. सीमा पार से बहने वाली नदियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिये भारत और चीन ने 2006 में विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र विकसित किया था. मौजूदा द्विपक्षीय करार के तहत चीन ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदियों के बारे में बाढ़ के मौसम में भारत के साथ जानकारी साझा करता है.