Pakistan-India: यूएई में हिंदू मंदिर बनने के बाद से पाकिस्तान बौखला गया है, लगातार पाकिस्तान के लोग इस मंदिर को हराम कह रहे हैं. पाकिस्तानी मुसलमानों ने यहां तक कह दिया कि अरब अमीरात को अपने देश में मंदिर नहीं बनने देना चाहिए था. वह तो इस्लामिक देश है, उसे इस्लाम को बढ़ावा देना चाहिए. हाल ही में दुनिया और पाकिस्तान के प्रसिद्ध इस्लामिक स्कॉलर जावेद अहमद गामिदी ने भी यूएई हिंदू मंदिर पर विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि 'इस्लामिक देश में हिंदू मंदिर बनाने की इजाजत नहीं है.'
पाकिस्तान की प्रसिद्ध पत्रकार आरजू काजमी ने यूएई मंदिर को लेकर पाकिस्तान में चल रहे विरोध पर पाकिस्तान के जानकार इश्तियाक अहमद से बातचीत की है. इस दौरान इश्तियाक अहमद ने कहा, वैसे तो जावेद गामिदी इस्लाम के बड़े जानकार हैं और प्रोगेसिव इस्लामिक स्कॉलर हैं, लेकिन उनकी उदारता सिर्फ यूरोप तक ही सीमित है. उन्होंने कहा कि हिंदू और भारत का नाम आते ही जावेद गामिदी की बुद्धि संकुचित हो जाती है और वह भी एक आम मौलाना की तरह बात करने लगते हैं.
'मुसलमान भी इस्लामिक कंट्री में नहीं भागते'
इश्तियाक अहमद ने कहा कि आज जिन चीजों को इस्लाम में हराम बताया जाता है, उन्हीं सबका मुसलमान उपयोग कर रहे हैं. खुद गामिदी को जब पाकिस्तान से भागना पड़ा तो अफगानिस्तान और सऊदी नहीं गए बल्कि अमेरिका गए. इस्लाम के हिसाब से तो पश्चिमी सभ्यता भी हराम है. इश्तियाक अहमद ने कहा कि जितनी भी आधुनिक चीजें हम आज यूज कर रहे हैं, सभी यूरोप की बनी हैं. हम किस-किसको हराम कहते रहेंगे.
यूएई में मंदिर का करना चाहिए सम्मान
पाकिस्तान के जानकार इश्तियाक अहमद ने कहा, शिक्षा की कमी की वजह से मुसलमानों की सोच बहुत संकुचित है. जिनके पास शिक्षा है वह भी राजनीति से प्रेरित होकर ऊल-जुलूल बयानबाजी करते हैं. यूएई में हिंदू मंदिर का समर्थन करते हुए इश्तियाक अहमद ने कहा, यूएई में पहले से ही क्रिश्चियन लोग हैं, क्योंकि उनकी वजह से ही अरब में तेल निकालने की मशीनें लगी. अब हिंदू भी भारी संख्या में वहां पर हैं तो मंदिर बनना कोई बुरी चीज नहीं है. हमें इसका सम्मान करना चाहिए.
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