मनीला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारत और आसियान समूह के देशों को आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद से लड़ने के लिए एक साथ आने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति आसियान के इर्द गिर्द बनाई गई है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना में इसकी प्रमुखता स्पष्ट है.


मोदी ने 15वें भारत-आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन) सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हम लोगों ने अलग-अलग रूप से आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए बहुत मेहनत की है. यह महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साथ मिलकर लड़ने के लिए सहयोग बढ़ाने का समय है."


प्रधानमंत्री ने कहा, "इस ऐतिहासिक समय में मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि आसियान के सदस्य देश एक लक्ष्य, एक दृष्टिकोण, एक पहचान और एक स्वतंत्र समुदाय को लेकर साथ काम करने को सहमत होंगे."


उन्होंने कहा, "तीसरी आसियान-भारत कार्ययोजना के तहत हमारे सहयोग के विस्तृत एजेंडे में काफी प्रगति हुई है. इसके अंतर्गत तीन मुख्य स्तंभ राजनीतिक-सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक साझेदारी आते हैं.


मोदी ने कहा, "दोनों देशों के बीच हजारों वर्ष पहले भारत और आसियान देशों के बीच समुद्री सहयोग स्थापित हुआ था और आसियान देशों के साथ हमारे व्यापार संबंध विकसित हुए थे. हमें संबंधों को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा."


मोदी ने आसियान देशों को नियम आधारित क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना प्राप्त करने में सहयोग के लिए आश्वस्त किया.


पूर्व एशिया सम्मेलन के आधार पर, चार दस्तावेज जारी किए गए, जिनमें आतंकवाद की विचारधारा के विरुद्ध लड़ाई, धन शोधन और आतंकवाद वित्तपोषण पर आतंकवादी कथनों और प्रचार पर रोक, गरीबी और रासायनिक हथियारों के उन्मूलन पर सहयोग शामिल है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ चारपक्षीय समूह बनने की सुगबुगाहट के बीच मंगलवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षित और मुक्त नौवहन और कानून के शासन और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता का जोरदार समर्थन किया.


उन्होंने भारत-आसियान और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलनों से अलग क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद की समस्या से निपटने की बात कही.
उन्होंने इस मुद्दे पर भारत और आसियान समूह के देशों को एक साथ आने का आह्वान किया.


मोदी ने हिंद-प्रशांत में सुरक्षित नौवहन पर दिया जोर


मोदी ने जापान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के नेताओं के साथ कई सारी बैठकें की, और इस दौरान मुक्त नौवहन के भारत के रुख को स्पष्ट किया गया.


विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) प्रीति सरन ने नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की बैठकों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते समय कहा, "हमारे प्रधानमंत्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षित और मुक्त नौवहन के महत्व को रेखांकित किया और कानून के शासन और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के अनुपालन और समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र के संकल्प का सम्मान करने का आह्वान किया."


भारत, अमेरिका और जापान चाहते हैं कि चीन को रोकने के लिए आस्ट्रेलिया चारपक्षीय पहल का हिस्सा बने. इन चारों देशों के अधिकारियों ने रविवार को यहां मुलाकात की थी, जबकि औपचारिक शिखर बैठक नहीं शुरू हुई थी.


मोदी ने रविवार को जिन नेताओं से मुलाकात की, उनमें जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे और आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल शामिल थे.


टर्नबुल के साथ मुलाकात के बाद मोदी ने ट्वीट किया, "आप से मिलकर अच्छा लगा. आज की हमारी बातचीत से भारत और आस्ट्रेलिया की दोस्ती में नई ऊर्जा जुड़ी है."


मोदी ने कहा कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति आसियान के इर्दगिर्द बनाई गई है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना में इसकी प्रमुखता स्पष्ट है.


मोदी ने 15वें भारत-आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन) सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हम लोगों ने अलग-अलग रूप से आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए बहुत मेहनत की है. यह महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साथ मिलकर लड़ने के लिए सहयोग बढ़ाने का समय है."


प्रधानमंत्री ने कहा, "इस ऐतिहासिक समय में मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि आसियान के सदस्य देश एक लक्ष्य, एक दृष्टिकोण, एक पहचान और एक स्वतंत्र समुदाय को लेकर साथ काम करने को सहमत होंगे."


उन्होंने कहा, "तीसरी आसियान-भारत कार्ययोजना के तहत हमारे सहयोग के विस्तृत एजेंडे में काफी प्रगति हुई है. इसके अंतर्गत तीन मुख्य स्तंभ राजनीतिक-सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक साझेदारी आते हैं.


मोदी ने कहा, "दोनों देशों के बीच हजारों वर्ष पहले भारत और आसियान देशों के बीच समुद्री सहयोग स्थापित हुआ था और आसियान देशों के साथ हमारे व्यापार संबंध विकसित हुए थे. हमें संबंधों को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा."


मोदी ने आसियान देशों को नियम आधारित क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना प्राप्त करने में सहयोग के लिए आश्वस्त किया. पूर्व एशिया सम्मेलन के आधार पर, चार दस्तावेज जारी किए गए, जिनमें आतंकवाद की विचारधारा के विरुद्ध लड़ाई, धन शोधन और आतंकवाद वित्तपोषण पर आतंकवादी कथनों और प्रचार पर रोक, गरीबी और रासायनिक हथियारों के उन्मूलन पर सहयोग शामिल है.