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China News: चीन ने अपने ही दो एथलीट्स की इस तस्‍वीर को क्‍यों कर दिया सेंसर? यहां जानिए असल वजह

China: चीन के इतिहास में 4 जून 1989 के दिन को तियानमेन चौक नरसंहार के रूप में जाना जाता है. इसमें करीब 10 हजार लोगों की जान गई थी. चीन की दो खिलाड़ियों की फोटो सेंसर करने के पीछे इसे जोड़ा जा रहा है.

Asian Games Controversy: चीन के हांग्जो में चल रहे एशियाई खेलों के दौरान एक ऐसी घटना हुई, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. आमतौर पर जब कोई खिलाड़ी एशियन गेम्स में जीत हासिल करता है तो उस देश में उसकी तस्वीर और खबरों को खूब चलाया जाता है, लेकिन चीन में इसके उलट हुआ. दरअसल, चीन ने एशियाई खेलों में जीत हासिल करने वाले अपने दो खिलाड़ियों की तस्वीर को सेंसर कर दिया. इसके बाद से इसकी चर्चा दुनियाभर की मीडिया में हो रही है.

चीन इसके पीछे जो वजह बता रहा है, वह लोगों को गले नहीं उतर रही है. यहां हम आपको बताएंगे कि आखिर जीत के बाद ली गई दोनों खिलाड़ियों की तस्वीर में ऐसा क्या है, जिसकी वजह से ड्रैगन को इतना सख्त कदम उठाना पड़ा.

क्या है फोटो सेंसर करने के पीछे की वजह?
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, 100 मीटर महिला बाधा दौड़ पूरी करने के बाद लेन 6 से लिन युवेई और लेन 4 से वू यान्नी एक-दूसरे से गले मिलीं. इस दौरान जब वे दोनों एक साथ खड़ी होती हैं तो उनके लेन नंबर दिखाने वाले स्टिकर "6 और 4" एक साथ आ गए. इसे 4 जून, 1989 के संदर्भ के रूप में देखा गया. दरअसल, 4 जून 1989 को तियानमेन नरसंहार हुआ था और चीनी सरकार इस पर अपनी पैनी नजर रखती है और देश में इस तरह के नंबर प्रदर्शित करने की अनुमति भी नहीं है.

इस घटना से जुड़े कंटेंट को शेयर करने पर मनाही
चीन सरकार इस घटना से जुड़े हर तथ्य को इंटरनेट से हटवाती रहती है. सोशल मीडिया पर भी इससे जुड़े किसी भी कंटेंट को शेयर करने की मनाही है. चीन में जब संख्या 6,4 और 89 एक साथ दिखाई देती है तो उसे सेंसर कर दिया जाता है. इस तस्वीर में भी ऐसा ही कुछ हुआ. फिलहाल इस तस्वीर को वीबो और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा दिया गया.

इस वजह से शुरू हुआ था आंदोलन
चीन के इतिहास में 4 जून 1989 के दिन को तियानमेन चौक नरसंहार के रूप में जाना जाता है. 1980 के दशक में चीन में आर्थिक और सामाजिक बदलाव के बाद चीन के लोगों में बेचैनी बहुत बढ़ गई थी.  चीन में लागू किए इन आर्थिक सुधारों का लाभ कुछ ही लोगों को मिला और अधिकांश को गंभीर नुकसान हुआ.

इसके अलावा कई और वजहों से भी चीन के लोगों में वहां के सिंगल पार्टी सिस्टम के खिलाफ रोष पनपने लगा. नतीजा यह हुआ कि संवैधानिक सुधार, लोकतंत्र, प्रेस की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लोग और खास तौर से छात्र विरोध प्रदर्शन पर उतर आए.

नरसंहार में 10 हजार लोगों की गई जान
नरसंहार से एक दिन पहले यानी 3 जून 1989 को सैनिकों ने छात्रों को हटने को कहा जिसके बाद पत्थरबाजी हो गई . इसके बाद शाम को सैन्य कार्रवाई करने का फैसला हुआ और रात 9 बजे ऑपरेशन शुरू कियागया. सेना ने रात 1 बजे से तियानमेन चौक पर कार्रवाई शुरू करने और सुबह 6 बजे तक पूरा चौक साफ करने की योजना बनाई.

इसके लिए 3 जून की रात 10 बजे के बाद से ही सेना ने हवाई फायरिंग शुरू कर दी. 12 बजे तक अलग-अलग जगहों पर सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष होने लगा. रात 12:15 बजे पर चौक पर पहला हवाई फायर हुआ और 1:30 बजे सेना की टुकड़ी ने दूसरी तरफ से चौक पर फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद चीनी सेना आक्रमक होती गई. यहां तक कि सेना ने प्रदर्शनकारियों पर टैंक तक चढ़ा दिया. इस घटना में करीब 10 हजार लोग मारे गए थे.

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