सिंगापुर: एक नए रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि एशिया में बढती जनसंख्या और बढ़ती आय की वजह से साल 2050 तक मीट और सी फूड का इस्तेमाल 78% तक बढ़ जाएगा. एशिया रिसर्च एंड इंगेजमेंट (एआरई) की 'चार्टिंग एशिया प्रोटीन जर्नी' के नाम से एक रिपोर्ट आई है. इसमें एशिया में प्रोटीन के लिए बढ़ती मांग को पूरा करने की वजह से पर्यावरण पर पड़के प्रभावों को परखा गया है.


रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले दो से तीन दशकों में लोगों ने बीफ या गोवंश के मीट से हटकर मुर्गा खान पर ज़्यादा ज़ोर दिया है. यह प्रवृत्ति लगातार ऐसी ही जारी रही है जबकि अधिक कमाई करने वाले देशों में बीफ और बफ के एक्सपोर्ट में वृद्धि हुई है.


रिपोर्ट में विशेष रूप से पाया गया कि 2017 और 2050 के बीच ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 88 फीसदी की वृद्धि हो जाएगी, जिसके तहत सीओ2 जो वर्तमान में हर साल 2.9 अरब टन है, इससे बढ़कर 5.4 अरब टन पहुंच जाएगा. ये कारों द्वारा 95 मिलियन आजीवन उत्सर्जन के बराबर होगा.


रिपोर्ट के मुताबिक भारत के ग्रीनहाउस उत्सर्जन में 2030 तक मामूली कमी देखी जाएगी लेकिन उपभोग के बदलते चलन के कारण 2050 तक यह 21 फीसदी कम हो जाएगा क्योंकि बीफ खाने वालों का अनुपात कम हो जाएगा, जोकि अधिक उत्सर्जन से जुड़ा होता है.