Australia New Continent : वैज्ञानिकों ने खोज निकाला एक और महाद्वीप, कभी 5 लाख लोग रहा करते थे
Australia New Continent : वैज्ञानिकों ने समुद्र में खोए हुए एक महाद्वीप को खोज निकाला है, यहां 6 हजार साल पहले लाखों लोग रहा करते थे
Australia New Continent : वैज्ञानिकों ने समुद्र में खोए हुए एक महाद्वीप को खोज निकाला है, यहां 6 हजार साल पहले लाखों लोग रहा करते थे. एक जलप्रलय में यह महाद्वीप प्रशांत महासागर में समा गया था. वैज्ञानिकों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी इसी महाद्वीप से पहली बार ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे, जिसकी कई सालों से रिसर्च की जा रही थी. करीब 70 हजार साल पहले इंसानों की आबादी दक्षिण पूर्व एशिया से ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में पहुंची थी. ये वे लोग थे, जो आधुनिक ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी कहे जाते हैं. इस प्रवास के बारे में हैरानी लगातार बनी रही कि यह यात्रा कितने समय में पूरी हुई और कौन से रास्ते अपनाए गए होंगे. एक नए शोध में इसके बारे में जानकारी मिली है. साथ ही वैज्ञानिकों को एक खोए हुए महाद्वीप की जानकारी भी मिल गई.
6 हजार साल पहले ऑस्ट्रेलिया से अलग हुआ
नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में 23 अप्रैल को एक शोध प्रकाशित हुआ था. इसमें कहा गया कि 70 हजार साल पहले जब पृथ्वी अंतिम हिमयुग के बीच में थी, उस समय साहुल नाम का एक बड़ा क्षेत्र था. जलप्रलय के कारण समुद्र के स्तर में गिरावट थी. इस दौरान ऑस्ट्रेलिया उत्तर में पापुआ न्यू गिनी और दक्षिण में तस्मानिया तक जुड़ा हुआ था. हिमयुग के बाद तापमान में वृद्धि हुई और समुद्र का स्तर बढ़ने के चलते बीच का हिस्सा पानी में डूब गया. इस दौरान ऑस्ट्रेलिया की मुख्य भूमि अलग हो गई. न्यू गिनी करीब 8000 साल पहले, जबकि तस्मानिया करीब 6 हजार साल पहले ऑस्ट्रेलिया से अलग हुआ था.
5 लाख लोग रहने का अनुमान
शोध में दक्षिण पूर्व एशिया से ऑस्ट्रेलिया के संभावित प्रवासन मार्गों को शामिल किया गया. सिडनी यूनिवर्सिटी में जियोसाइंसेज स्कूल के प्रोफेसर ट्रिस्टन सैलेस ने कहा कि ये रास्ते समुद्र तट के किनारे और सीधे महाद्वीप के आंतरिक भाग से होते हुए प्रमुख नदियों और झरनों से होते हुए गए हैं. प्रवासन के दौरान इंसान हर साल 1.15 किलोमीटर की गति से बढ़े. अध्ययन के लेखकों ने साहुल में इंसानों की मौजूदगी की संभावना का पता लगाया है. वर्तमान में पानी के अंदर डूब चुके 'साहुल' के उत्तरी शेल्फ पर कभी पांच लाख लोग रहते रहे होंगे.