पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत ब्लूचिस्तान में पिछले महीने एक हमले में पाकिस्तानी सेना के 7 जवावों की मौत हो गई थी. ये जवान चीन के सीपीईसी (सीपैक) परियोजना के तहत चल रहे काम की सुरक्षा में लगे हुए थे. ऐसे में इस हमले के बाद चीन में ब्लूचिस्तान का ग्वादर एयरपर्ट और फ्री ट्रेड जोन अरबो डॉलर का निवेश मुसीबत में आ गया है.


एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार,  जमीन के हिसाब से देखें तो ब्लूचिस्तान प्रांत सबसे बड़ा है और जातीय बलूच लोग पाकिस्तान की कुल आबादी का महज 9 फीसदी है. ऐसे में पिछले कई दशक से बलूचिस्तापन में बलूच विद्रोही सक्रिय रहे हैं. उनका आपस में विभाजन रहा है और पश्तू नों के साथ उनकी प्रतिस्पर्द्धा रही है. यही नहीं पाकिस्तान की सियासत और सत्ता कब्जा करने वाले पंजाबियों से भी बलूचों का संघर्ष होता रहा है.


बलूच विद्रोही अब फिर से एकजुट हो रहे हैं और नई रणनीति अपना रहे हैं. इन विद्रोहियों ने चीनी लोगों को भी निशाना बनाया है. बलूच पहले आत्महघाती हमले नहीं करते थे, लेकिन अब वे इसे भी अंजाम दे रहे हैं. यही नहीं बलूच अब लोगों को बंधक भी बना रहे हैं. माना जा रहा है कि बलूच विद्रोहियों के निशाने पर चीन के वित्तीय, व्यावसायिक और आध‍िकारिक हित हैं.


बलूच विद्रोही अफगानिस्तान में अपने ठिकाने का इस्तेमाल बलूचिस्तान में चीनी हितों पर हमले के लिए कर रहे हैं. ब्लूचिस्तान में विद्रोही धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहे थे कि इसी बीच हाल के दिनों में पाकिस्तान के अधिकारियों ने चीन को खुश करने के लिए कई ऐसे दमनात्मनक कदम उठाए जिससे हिंसा का नया दौर पैदा हो गया. इस हिंसा ने सीपीईसी को लेकर चीन के विश्वास को हिलाकर रख दिया है.


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