Student Movement in Bangladesh : भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में इस वक्त अलग ही माहौल चल रहा है. जहां एक ओर पूरी दुनिया नए साल के स्वागत की तैयारी में जुटी है, वहीं बांग्लादेश से संविधान को खत्म करने की ऐलान किया जा सकता है. खबरों के मुताबिक, आज यानी 31 दिसंबर को बांग्लादेश से उस संविधान को ही खत्म करने का ऐलान किया जा सकता है, जो 1972 में शेख मुजीबर रहमान के दौर में बना था. इसके अलावा देश से राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों को भी खत्म किया जा सकता है. वहीं, जुलाई महीने में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन को क्रांति का दर्जा दिए जाने की भी चर्चा है और शेख हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्र संगठन की ओर से नए रिपब्लिक का भी ऐलान किया जा सकता है.
स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन की ओर से नए रिपब्लिक की घोषणा की तैयारी
उल्लेखनीय है कि स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन की ओर से नए रिपब्लिक की घोषणा की तैयारी है. हालांकि अभी तक इस बात की जानकारी नहीं है कि बांग्लादेश को इस्लामिक देश घोषित किया जाएगा या सेकुलर गणराज्य बनाया जाएगा. बांग्लादेश की इस स्थिति से भारत के लिए चिंता बढ़ जाएगी. अब भारत के लिए यह चुनौती होगी कि अगर बांग्लादेश में किसी से बात की जाए तो वो आखिर कौन होगा.
बांग्लादेश में सत्ता में इस वक्त चुनी हुई सरकार की जगह अंतरिम सरकार बैठी है. जिसका नेतृत्व नोबेल विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं. मोहम्मद यूनुस ने अपने कार्यकाल में कट्टरपंथियों का खूब साथ दिया है, जिससे भारत समेत कई देश चिंतित हैं. वहीं, अमेरिका ने भी बांग्लादेश को लेकर चिंता जाहिर की है.
छात्र नेता ने भारत के खिलाफ उगला जहर
बांग्लादेश में छात्र नेता हसनत अब्दुल्ला ने बांग्लादेश के संविधान को लेकर कहा कि वह तो मुजीबवादी कानून है, उसे हम खत्म करेंगे और दफन करेंगे. इसके अलावा छात्र नेता ने भारत के खिलाफ भी जहर उगला है. हसनत ने कहा, “1972 के उस संविधान के वजह से ही भारत को बांग्लादेश में दखल देने का मौका मिला.” उन्होंने आगे कहा, ‘हम 31 दिसंबर की दोपहर को ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार में ऐलान करेंगे और बताएंगे कि भविष्य का बांग्लादेश कैसा होगा.’
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