Sheikh Hasina in India : बांग्लादेश में हुए सियासी तख्तापलट का खामियाजा भारत को भी भुगतना पड़ सकता है. यह वजह है कि भारत सरकार शेख हसीना को सुरक्षित शरण देने के लिए संभावित विकल्पों पर विचार कर रही है. ABP LIVE को सूत्रों से पता चला कि नई दिल्ली ने सभी विकल्पों को सक्रिय कर दिया है, ताकि यह देखा जा सके कि हसीना को कहां सुरक्षित शरण दी जा सकती है. ऐसा लगता है कि संभावित विकल्प स्विट्जरलैंड या फिनलैंड हो सकते हैं. सोमवार को बांग्लादेश के भागकर आईं शेख हसीना का विमान गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा था. पहले उन्हें उम्मीद थी कि वह भारत के रास्ते यूके में जा सकती हैं. सूत्र के अनुसार, हिंडन एयरबेस पर भी पहले से ही सभी सुरक्षा इंतजाम किए गए थे, जहां सोमवार को हसीना का उतरा था, ऐसा लग रहा था कि हसीना अपनी बहन शेख रेहाना के साथ जल्द ही अमेरिका या ब्रिटेन के लिए रवाना होंगी, लेकिन वैसा नहीं हो सका. हसीना को एहसास हुआ कि वह अमेरिका या ब्रिटेन में शरण नहीं ले सकतीं, अब बाकी विकल्प भी तेजी से खत्म होने लगे हैं. इसलिए उन्होंने अब भारत में ही रहने का फैसला किया है. सूत्र बताते हैं कि वह जनता या मीडिया की नजरों से दूर एक सुरक्षित घर में रह रही हैं.


'शेख हसीना को गिरफ्तार कर सौंपे भारत'
वहीं, बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है. बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने मंगलवार को कहा कि ढाका भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है. ऐसे में नई दिल्ली को हसीना और रेहाना दोनों को गिरफ्तार करके वापस भेज देना चाहिए. एससीबीए ने देश में विरोध प्रदर्शन में मारे गए 300 लोगों की मौत के लिए सीधे तौर पर हसीना को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्हें इन मौतों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.


लंदन जा सकती हैं शेख हसीना की बहन
ब्रिटिश राजनयिक सूत्रों ने एबीपी लाइव को बताया कि ब्रिटेन के बाहर से शरण के लिए आवेदन करना संभव नहीं है, जिससे हसीना के लिए लंदन का रास्ता खारिज हो गया. यूके गृह मंत्रालय ने कहा कि ऐसे व्यक्तिगत मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं.  हमारे आव्रजन नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी को शरण या अस्थायी शरण लेने के लिए यूके की यात्रा करने की अनुमति दी जाए. इस बात पर भी जोर दिया गया कि उन्हें सबसे पहले सुरक्षित देश में शरण लेनी चाहिए. हालांकि, ऐसा लगता है कि शेख रेहाना, जो एक ब्रिटिश नागरिक हैं, जल्द ही लंदन के लिए रवाना हो सकती हैं. रेहाना की बेटी ट्यूलिप सिद्दीक ब्रिटिश संसद की सदस्य हैं.


अमेरिका से साधा जा रहा संपर्क
एक अन्य सूत्र ने बताया कि भारत ने हसीना को भेजने के लिए कूटनीतिक माध्यमों से अमेरिका से संपर्क किया, लेकिन उसे तब झटका लगा जब पता चला कि वाशिंगटन ने पहले ही उनका वीजा रद्द कर दिया है. मई 2023 में वाशिंगटन ने नई वीजा नीति, आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम में संशोधन किया था. उसके बाद से ही हसीना सरकार और जो बाइडेन प्रशासन के रिश्तों में तनाव की स्थिति पैदा हुई थी. मंगलवार को बांग्लादेश के पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद, जो कई दशकों से हसीना के करीबी थे, को ढाका हवाई अड्डे पर हिरासत में लेकर सेना को सौंप दिया गया. वे भी भारत आने की कोशिश कर रहे थे.


इस समय दुविधा में है भारत, तलाश रहा विकल्प
सूत्रों ने एबीपी लाइव को यह भी बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार नहीं चाहती कि शेख हसीना लंबे समय तक देश में रहे, क्योंकि बांग्लादेश में हिंसा के बीच शासन परिवर्तन हो रहा है. माना जा रहा है कि नई दिल्ली खाड़ी देशों सहित मित्र देशों में अपने सभी दूतावासों से लगातार संपर्क में है. सूत्रों ने बताया कि हसीना सऊदी अरब में भी बस सकती हैं, जिसके लिए बातचीत चल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा की गई और इसके बाद मंगलवार को सर्वदलीय बैठक में भी इस पर जोर दिया गया. सूत्रों के अनुसार, भारत अवामी लीग नेता के अंतरराष्ट्रीय विरोध को दबाने के लिए भी काम कर रहा है.


नई सरकार बनने से पहले शेख हसीना को...
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि भारत बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को कैसे जारी रख पाएगा, जो हसीना के दौर में अपने चरम पर थे. नई दिल्ली को ये भी चिंता है कि बांग्लादेश में जल्द बनने वाली सरकार भारत से शेख हसीना को ढाका वापस भेजने और कार्रवाई करने के लिए आग्रह कर सकती है. एक अधिकारी ने कहा, इसलिए भारत ढाका में अंतरिम सरकार के गठन से शेख हसीना को सुरक्षित शरण देने की योजना बना रहा है. प्रधानमंत्री मोदी और हसीना के बीच जल्द ही एक बैठक भी तय हो सकती है, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. फिलहाल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मोदी और हसीना दोनों को अपडेट रख रहे हैं, जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर को उनके लिए सुरक्षित शरण खोजने को कहा गया है.


शेख हसीना के लिए अगस्त का महीना है भारी
शेख हसीना बांग्लादेश से अगस्त की शुरुआत में भागकर आई हैं. 1975 में भी अगस्त में ही ऐसा ही हुआ था. शेख हसीना के पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की उनके परिवार के 18 सदस्यों के साथ क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई थी. बंगबंधु शेख मुजीबुर  को बांग्लादेश के संस्थापक पिता के रूप में भी जाना जाता है. मुजीबुर रहमान की 4 वर्षों तक देश का नेतृत्व करने के बाद हत्या कर दी गई. इसके बाद कुछ सालों तक बांग्लादेश में सैन्य शासन लागू हो गया. हसीना उस समय अपने दिवंगत पति डॉ. वाजेद मियाह के साथ पश्चिम जर्मनी में रह रही थीं, जो एक प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक थे. उन्हें और उनके पति को भारत में तब तक रहने की अनुमति दी गई, जब तक वे चाहें. यह अनुमति तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दी थी. उनके पति को दिल्ली में नौकरी भी दी गई और परिवार को एक अस्थायी घर भी दिया गया. वे 1981 तक दिल्ली में रहे, उसके बाद ढाका लौट आईं. लगभग पांच दशक के बाद हसीना वहीं वापस आ गई हैं, जहां से उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई थी.


पूरे परिवार की कर दी थी हत्या, हसीना भाग गई थीं
1975 में जब शेख हसीना के पिता और परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, तब वह भाग गई थीं. उन्होंने हत्या के बाद अपनी बहनों के साथ भारत में शरण ली थी. हसीना इसलिए बच गई थीं, क्योंकि वह उस समय अपने पति और रेहाना के साथ जर्मनी में थी. 1977 में जनरल जियाउर्रहमान राष्ट्रपति बने थे. 1981 में उनकी हत्या कर दी गई और उनके उत्तराधिकारी अब्दुस सत्तार को 1982 में तख्तापलट में हटा दिया गया. सेना प्रमुख एचएम इरशाद ने नियंत्रण ले लिया, लेकिन बड़े पैमाने पर अशांति के कारण 1990 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद जनरल जियाउर रहमान (1991-96 और 2001-06) की खालिदा जिया और शेख हसीना (1996-2001) की सरकारें आईं. इसी बीच 1996 में तख्तापलट की कोशिश हुई.