Sheikh Hasina: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट और उनके देश छोड़कर भागने की घटना को करीब 2 हफ्ते बीत चुके हैं. इस बीच मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार शेख हसीना को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. जहां बांग्लादेश की एक कोर्ट ने रविवार (18 अगस्त) यानि कि छुट्टी के दिन शेख हसीना और 33 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए एक आवेदन दायर किया गया है. जिसमें शेख हसीना और अन्य पर 2013 में एक रैली पर अंधाधुंध गोलीबारी करके नरसंहार का आरोप है.


दरअसल, शेख हसीना और अन्य 33 लोगों पर साल 2013 में में ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ द्वारा आयोजित एक रैली पर अंधाधुंध गोलीबारी करके सामूहिक हत्या करने का आरोप लगाया गया है. ढाका ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, बांग्लादेश पीपुल्स पार्टी (बीपीपी) के अध्यक्ष बाबुल सरदार चखारी ने ढाका मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में याचिका दायर की गई है.


ढाका मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने दर्ज किए बयान


ढाका मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में बाबुल सरदार चखारी की ओर से दायर याचिका में पूर्व पीएम शेख हसीना और अन्य लोगों पर 5 मई, 2013 को मोतीझील के शापला छत्तर में रैली के दौरान ‘‘सामूहिक हत्या’’ करने का आरोप लगाया गया है. इस दौरान कोर्ट ने वादी का बयान दर्ज कर लिया है. कोर्ट का कहना है कि वह इस मुद्दे पर बाद में आदेश पारित करेगी.


जानें शेख हसीना के खिलाफ किन केसों में दर्ज हुई FIR?


बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण विरोधी आंदोलन के हिंसक होने के बाद शेख हसीना को 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर जाना पड़ा था. जिसके बाद वह भारत आ गई थीं. हालांकि, बांग्लादेश में अब हसीना पर 11 मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या के 8, अपहरण का 1, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के 2 मामले शामिल हैं.


क्या शेख हसीना पर आपराधिक मुक़दमा चलाना संभव है?



बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशलन क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन मामले में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना समेत 9 लोगों के खिलाफ जांच करने का फैसला लिया है. इन सभी पर हत्या, नरसंहार और यातना के आरोप लगाए गए हैं. आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान एक छात्र के पिता ने बुधवार (14 अगस्त) को यह याचिका लगाई थी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कानून के अनुसार, शेख हसीना पर मुकदमा चलाना संभव है?



इस पर बांग्लादेश सरकार के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां का कहना है कि इस कानून के तहत शेख हसीना पर मुकदमा चलाना संभव है. उन्होंने कहा कि 1973 का जो कानून है उसमें मानवता के खिलाफ अपराध की जो परिभाषा दी गई है, यह अपराध भी उसी के अंदर आता है. इसका मतलब है कि शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ अधिनियम की धारा तीन की उपधारा 2(ए) के मुताबिक मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया जा सकता है.


इन धाराओं पर इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल में हो सकता है एक्शन


इस धारा के तहत, हत्या, विनाश, गुलाम बनाकर रखना, निर्वासन, कारावास, अपहरण, यातनाएं देना, रेप, नागरिकों के खिलाफ किए गए अमानवीय कृत्यों की सुनवाई इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल में की जा सकती है. इसके अलावा यहां राजनीतिक, जातीय या धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई भी हो सकती है.




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