Bangladesh Crisis: क्या शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजेगा भारत? अंतरिम सरकार के विदेश मंत्री ने कर दिया बड़ा दावा
Bangladesh Crisis: बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अंतिम निर्णय देश के गृह और कानून मंत्री पर निर्भर है. उन्होंने भारत को लेकर भी बयान दिया.
Bangladesh Crisis: बांग्लादेश के विदेश मंत्री मोहम्मद तौहीद हुसैन ने गुरुवार (15 अगस्त 2024) को शेख हसीना को वापस देश लौटने को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर फैसला लेगी, क्योंकि उनके खिलाफ मामले बढ़ते जा रहे हैं. रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में तौहीद हुसैन ने कहा कि हम अटकलें नहीं लगाना चाहते हैं, लेकिन शेख हसीना के खिलाफ कई मामलों का सामाना कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अंतिम निर्णय देश के गृह और कानून मंत्री पर निर्भर है.
'भारत के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा कर रही'
बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा, "शेख हसीना राजनीतिक शरण के लिए विकल्प तलाशते हुए दिल्ली में रह रही हैं, जिससे पड़ोसी देश भारत के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा हो रही है. मुझे यकीन है कि भारत इन सब चीजों का ध्यान रखेगा." हालांकि उन्होंने इस मामले को लेकर डिटेल में कुछ नहीं बताया. मोहम्मद तौहीद हुसैन नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में विदेश मामलों के सलाहकार हैं.
शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग के अन्य सदस्यों के खिलाफ बांग्लादेश में दो हत्या के मामले दर्ज हैं. देश भर में हुए हिंसक दंगों और विरोध प्रदर्शनों के बीच 5 अगस्त 2024 को वह देश छोड़कर भाग गईं थी.
शेख हसीना पर चल रहा हत्या का मामला
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनकी कैबिनेट में मंत्री रहे दो वरिष्ठ मंत्रियों और एक बर्खास्त पुलिस प्रमुख समेत छह अन्य के खिलाफ हत्या के आरोप में मुकदमा चलेगा. यह मामला किराने की दुकान के मालिक अबू सईद के शुभचिंतक ने दर्ज कराया है, जिनकी मोहम्मदपुर में आरक्षण आंदोलन के समर्थन में 19 जुलाई को निकाले गए जुलूस के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मौत हो गई थी.
शेख हसीना के ढाका छोड़ने के बाद प्रदर्शनकारियों ने उनकी पार्टी के नेताओं के आवास को निशाना बनाया और अवामी लीग पार्टी से जुड़े लोगों और स्मारकों पर हमला किया. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि गुस्साई भीड़ ने कई पार्टी नेताओं पर हमला किया और उन्हें पीट-पीटकर मार डाला.
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