Bangladesh Crisis : बांग्लादेश में पांच बार तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को हटाने की प्लानिंग इस साल की शुरुआत में हुए चुनाव में ही शुरू हो गई थी. 2024 के चुनावों में इसलिए ही मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी ने हिस्सा नहीं लिया था. उन्होंने चुनाव का बहिष्कार किया था, क्योंकि उनका तर्क था कि अगर वह चुनाव का बहिष्कार करेंगे तो कम वोटिंग होगी, जिससे शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी को नुकसान होगा और हुआ भी वही. 2024 के चुनाव में शेख हसीना बेशक चुनाव जीतीं, लेकिन देश के महज 40 फीसदी वोटरों ने ही मतदान में हिस्सा लिया था, जबकि 2018 में 80 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं, विपक्ष ने चुनाव को फर्जी करार दिया था. विपक्षी दल बीएनपी ने ने सरकार के खिलाफ माहौल बनाया. यही कारण था कि 300 में 222 सीटें हसीना की पार्टी ने जीती थी, दूसरे नंबर पर निर्दलीय 63 सीटें जीत कर आगे आए थे.


चुनाव के बाद देखे गए थे हिंसक प्रदर्शन
बांग्लादेश में साल 2018 में पहली बार EVM से चुनाव हुए थे, बीएनपी और अन्य विपक्षी दलों ने उस समय भी शेख हसीना पर आम चुनावों में धांधली करने का आरोप लगाया था. हसीना सरकार ने चुनाव के दिन से पहले मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया था, उनका कहना था कि वो चुनाव से जुड़ी फर्जी खबरें रोकना चाहती हैं. इसके बाद भी बांग्लादेश में इस साल के शुरुआत में चुनाव के दौरान हिंसा और प्रदर्शन देखे गए. शेख हसीना की पार्टी पर धांधली के आरोप लगे, लेकिन इसके बाद भी वह रिकॉर्ड पांचवीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं. उधर, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं खालिदा जिया और उनकी पार्टी BNP 2 दशक से देश में एक भी चुनाव नहीं जीत पाई. भ्रष्टाचार के आरोपों में सजा के बाद खालिदा जिया और उनकी पार्टी पर राजनीतिक संकट गहराया हुआ है.


2014 में भी किया था बहिष्कार
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने 2014 के चुनाव का भी बहिष्कार किया था, हालांकि पार्टी ने 2018 में चुनाव लड़ा था.पार्टी के नेताओं ने दावा किया है कि चुनाव में हुए कम मतदान से यह स्पष्ट है कि उनका बहिष्कार आंदोलन सफल रहा. 


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