Bangladesh Crisis News: बांग्लादेश में भीषण आगजनी और हिंसा के बीच हालात बेहद खराब हो गए हैं. हालात बेकाबू होने के बाद सोमवार (5 अगस्त) को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया. इस बीच बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद ने बड़ी बात कही है. सजीब वाजिद ने कहा कि पूर्व पीएम शेख हसीना इस्तीफा देने और सत्ता सौंपने की योजना बना रही थीं. उनका अपना आधिकारिक आवास छोड़ कर देश से बाहर जाने का कोई इरादा नहीं था.


न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक वीडियो इंटरव्यू में सजीब वाजिद से पूछा गया कि देश छोड़ कर जाने से पहले शेख हसीना का आखिरी संदेश क्या था. इस पर उन्होंने कहा, ''वह इस्तीफा देने और सत्ता सौंपने के बारे में तो सोच रही थीं लेकिन अपना आधिकारिक आवास छोड़ कर देश से बाहर जाने का कोई इरादा नहीं था." 


'बांग्लादेश में ISI ने खराब किए हालात'


वहीं, सजीब वाजिद ने अपनी मां शेख हसीना की सरकार के पतन के लिए देश के एक छोटे समूह और आईएसआई की साज़िश को ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि क्योंकि, हसीना सरकार के खिलाफ विरोध का कोई कारण नहीं था. चूंकि, सरकार ने आरक्षण को घटाकर काफी कम कर दिया था. उन्होंने अपनी मां की जान बचाने के लिए भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का आभार जताया है.


आरक्षण पर क्या बोले सजीब वाजिद?



पूर्व पीएम शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद जॉय ने आगे कहा कि आरक्षण कोटा बहाल करने का फ़ैसला हसीना सरकार का नहीं बल्कि का कोर्ट का था. उन्होंने कहा कि सरकार ने कभी भी पुलिस को लोगों पर हमले करने का आदेश नहीं दिया था. साजिब ने कहा कि सरकार ने तुरंत बल प्रयोग करने वाले पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था, मगर, इसके बावजूद प्रदर्शनकारी उनकी मां शेख हसीना की सरकार से इस्तीफ़ा लेने चाहते थे.


बांग्लादेश में प्रदर्शन करने वाली दंगाइयों की भीड़ थी- साजिब  


बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद ने कहा, 'आख़िर प्रदर्शनकारी छात्रों के पास कहां से हथियार आए. वे सभी स्टूडेंट नहीं थे, बल्कि दंगाइयों की भीड़ थी. वे आतंकवादी थे, जिन्हें एक निर्वाचित सरकार गिराने के लिए उकसाया गया था. मेरी मां ने इस्तीफ़ा दे दिया. क्योंकि वो देश में नरसंहार को रोकना चाहती थीं.'


जानें US की भूमिका पर क्या बोले सजीब वाजिद?



सजीब वाजिद ने कहा कि उनके पास इस बात के सुबूत नहीं हैं कि अमेरिका इसमें शामिल था या नहीं. मगर, हालात पर गौर करें तो पता चलेगा कि शेख हसीना सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारियों को भड़काया गया था. उन्होंंने कहा, ''शुरू में प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे. जहां पहले दौर के प्रदर्शन के बाद सरकार ने आरक्षण घटा दिया था. जिसके बाद सरकार ने हिंसा रोकने के लिए सबकुछ किया, लेकिन हिंसा का आदेश नहीं दिया. मुझे पूरा विश्वास है कि हिंसा को पश्चिमी देशों की ओर से हवा दी गई है."




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