Bangladesh Election 2024: बांग्लादेश में रविवार (7 जनवरी) को आमचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. प्रधानमंत्री शेख हसीना का चौथी बार पीएम बनना लगभग तय माना जा रहा है क्योंकि मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है और दावा किया है कि मौजूदा सरकार के तहत कोई भी चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय नहीं होगा.
एक तरफ अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने हसीना सरकार की ओर से कथित तौर पर हजारों प्रतिद्वंद्वी राजनेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार करने की रिपोर्टों पर बार-बार चिंता जताई है. पश्चिमी देशों ने बार-बार हसीना सरकार की लोकतांत्रिक साख पर सवाल उठाए हैं और अधिकार समूहों ने बांग्लादेश सरकार पर विपक्ष को पंगु बनाने का आरोप लगाते हुए निंदा की है तो वहीं भारत और चीन शेख हसीना सरकार के प्रति नरम रुख अपनाया है.
भारत ने पिछले दो महीनों में इस बात को दोहराया है कि बांग्लादेश में होने वाला आम चुनाव उसका अपना मामला है. विदेश मंत्रालय के बयान को देखते हुए ऐसा माना जाता कि भारत पीएम शेख हसीना की सरकार के साथ खड़ा रहेगा. विदेश मंत्रालय ने कहा था, ''चुनाव बांग्लादेश का घरेलू मामला है और हमारा मानना है कि बांग्लादेश के लोगों को अपना भविष्य खुद तय करना है.''
भारत को क्यों है शेख हसीना सरकार की जरूरत?
बांग्लादेश के साथ भारत के अपने हित हैं. करीब 170 मिलियन (17 करोड़) लोगों के मुस्लिम-बहुल देश को भारत लगभग तीनों तरफ से घेरता है. भारत के लिए बांग्लादेश केवल एक पड़ोसी ही नही, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार और करीब सहयोगी है, जो उत्तर-पूर्वी राज्यों की सुरक्षा और कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है.
भारतीय नीति निर्माताओं का मानना है कि दिल्ली को ढाका में एक मैत्रीपूर्ण शासन जरूरत है और 2009 में दोबारा सत्ता में आने के बाद से शेख हसीना ने भारत के साथ घनिष्ठ राजनीतिक और आर्थिक संबंध बनाए हैं. यह मजबूत आर्थिक सहयोग अगरतला-अखौरा रेल लिंक और भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन जैसी साझा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से साफ है, जिसने न केवल व्यापार को बढ़ावा दिया है बल्कि दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी में भी सुधार किया है.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार 15 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया था. दशकों तक चीन के रक्षा आयात पर प्रभुत्व बनाए रखने के बाद, सहयोग अब भारत से हथियार खरीदने वाले बांग्लादेश तक भी फैल गया है.
भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताएं
बांग्लादेश को लेकर जहां तक भारत की चिंता की बात है तो इस पड़ोसी देश में बीएनपी की सत्ता में वापसी इस्लामवादियों की वापसी का मार्ग प्रशस्त कर सकती है, जैसा कि उस समय हुआ था जब 2001 और 2006 के बीच गठबंधन सरकार सत्ता में थी.
2009 में सत्ता में आने के तुरंत बाद शेख हसीना को भारत का समर्थन हासिल हुआ था क्योंकि उन्होंने इस्लामी समूहों के साथ-साथ भारत के उत्तर-पूर्व के जातीय विद्रोही समूहों के खिलाफ काम किया, जिनमें से कुछ बांग्लादेश से संचालित हो रहे थे.
एक तरफ कई पश्चिमी सरकारें कथित मानवाधिकार उल्लंघनों और एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग्स (न्यायेतर हत्याओं) को लेकर बांग्लादेशी अधिकारियों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाना चाहती हैं तो वहीं भारत इस कदम का विरोध कर रहा है और इसे उल्टा बता रहा है, खास तौर से यह देखते हुए कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर कोई भी पश्चिमी जोर ढाका को चीन की ओर धकेल सकता है.
चीन शेख हसीना का समर्थन क्यों कर रहा है?
चीन बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का समर्थन करता है. 2016 में बांग्लादेश चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल हुआ था. बांग्लादेश को दो पनडुब्बियां बेचने के अलावा चीन कुतुबदिया में इनके लिए 1 बिलियन डॉलर का बेस बना रहा है. चीन ने कई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भी निवेश किया है. उसने अपने हथियारों की बिक्री जारी रखी है और बांग्लादेश में परियोजनाओं में 38 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है.
बांग्लादेश में चीन की ऐसी मौजूदगी भारत या अमेरिका के लिए अनुकूल नहीं है, लेकिन नई दिल्ली के लिए राहत की बात यह है कि शेख हसीना की सरकार इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों के प्रति सचेत रही है.
वास्तव में शेख हसीना अपनी विदेश नीति में भारत और चीन के बीच संतुलन बनाने में काफी निपुण रही हैं और वह अच्छी तरह से जानती हैं कि बांग्लादेश के लिए उन्हें दोनों की जरूरत है.