बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तोहिद हुसैन ने शनिवार (30 नवंबर 2024) को कहा कि देश का भारत के साथ संबंध तब से बदल गया है जब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अगस्त में सत्ता से बाहर कर दिया गया था. उन्होंने यह बयान ढाका के एक निजी विश्वविद्यालय में दिया.


हुसैन ने इस दौरान कहा, "पांच अगस्त के बाद, भारत के साथ संबंध बदल गए हैं और यह वास्तविकता है. इस वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए हमें भारत के साथ अपने रिश्ते को बनाना और जारी रखना होगा. मुझे यकीन है कि भारत यह समझेगा कि बदले हालातों में बांग्लादेश के साथ रिश्ते को कैसे आगे बढ़ाना है."


भारत के साथ संबंधों में खटास


भारत और बांग्लादेश के संबंध उस समय से तनावपूर्ण हो गए हैं, जब इसी साल अगस्त में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद छात्रों की ओर से किए गए प्रदर्शनों के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनूस की देखरेख में एक देखरेख प्रशासन ने सत्ता संभाली. हुसैन ने शनिवार को अपने संबोधन में आरोप लगाया कि हसीना के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए अपनी ओर से पूरी कोशिश की थी.


हुसैन ने कहा, "पिछली सरकार (बांग्लादेश की) ने भारत की चिंताओं को दूर करने की पूरी कोशिश की थी. हमारे कुछ मुद्दे भी थे. समस्याएं इस कारण हो रही हैं कि हमारे मुद्दों को हल नहीं किया गया." हालांकि उन्होंने और अधिक विस्तार से जानकारी नहीं दी.


भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाने की उम्मीद


हुसैन ने भारत के साथ अच्छे रिश्ते स्थापित करने की उम्मीद जताई और कहा कि बांग्लादेश "किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता." उन्होंने कहा, "हम आशावादी रहेंगे कि हम अच्छे रिश्ते स्थापित कर सकेंगे ताकि दोनों पक्षों के हितों की रक्षा की जा सके. हम किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते. हम चाहते हैं कि हमें भी कोई नुकसान न पहुंचाए."


उन्होंने भारत के मीडिया पर आरोप लगाया कि वह भारत-बांग्लादेश संबंधों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है और बांग्लादेश मीडिया से अनुरोध किया कि वह इस मामले में निष्पक्ष रिपोर्टिंग करे.


भारत ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपील की


इससे पहले, भारत ने शुक्रवार (29 नवंबर 2024) को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से अपील की थी कि वह हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, जो हालिया हमलों का शिकार हो रहे हैं. नई दिल्ली ने यह भी कहा था कि बांग्लादेशी संत चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए मामले को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाए.


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