बांग्लादेश: आम चुनाव से पहले हिंदू घरों में आगजनी, रविवार को डाले जाएंगे वोट
रविवार को बांग्लादेश में वोट डाले जाएंगे. 10 करोड़ से ज्यादा आबादी अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेगी. रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ अवामी लीग की शेख हसीना (71) प्रधानमंत्री के रूप में लोगों की पसंद बनी हुई हैं.
ढाका: बांग्लादेश में रविवार को होने वाले आम चुनाव से पहले हिंदू परिवार के एक घर को कथिततौर पर आग के हवाले कर दिया गया. देश में हाल में धार्मिक अल्पसंख्यक को निशाना बनाने का यह तीसरा मामला सामने आया है. अग्निशमन केंद्र के अधिकारी मोफिदार रहमान खान ने बताया कि ठाकुरगांव सदर उपजिला के झापरतलाई गांव में आनंदा चंद्र बर्मन के घर में रात के करीब 10 बजे आग लग गई. बर्मन ने बीडीन्यूज24 डॉटकॉम से कहा, " मैंने देखा कि मेरे घर में आग लगी है और पेट्रोल की गंध आ रही है. पूरा घर पांच से सात मिनट में जलकर राख हो गया."
बर्मन ने कहा, "हमारे हिंदू समुदाय को डराने और आगामी चुनाव में हमें वोट डालने से दूर रखने के लिए किसी ने हमारे घर में आग लगाने के लिए पेट्रोल का इस्तेमाल किया." जानकारी के मुताबिक, इस घटना को लेकर अब तक हिंदुओं से संबंधित तीन घरों को आग के हवाले किया जा चुका है.
अखनगर संघ परिषद के अध्यक्ष नुरुल इस्लाम ने अल्पसंख्यक समुदाय के घरों में आग लगाने वाले अपराधियों के खिलाफ पुलिस से कार्रवाई करने की मांग की है. इस बीच, पुलिस ने कहा है कि उसने मामले की जांच शुरू कर दी है.
रविवार को आम चुनाव के लिए डाले जाएंगे वोट बता दें कि रविवार को वोट डाले जाएंगे. यहां 30 दिसंबर को 10 करोड़ से ज्यादा आबादी अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेगी. रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ अवामी लीग की शेख हसीना (71) यहां प्रधानमंत्री के रूप में लोगों की पसंद बनी हुई हैं. चुनाव प्रचार के दौरान खूनी संघर्ष भी देखने को मिला है.
अगर हसीना यह चुनाव जीत जाती हैं तो वह रिकार्ड तीसरी बार देश की प्रधानमंत्री बनने वाली पहली नेता बन जाएंगी. हसीना की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी(बीएनपी) की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया और कई विपक्षी कार्यकर्ता या तो जेल में हैं या गायब हो गए हैं.
अंतर्राष्ट्रीय चुनाव पर्यवेक्षकों और प्रेस की स्वतंत्रता के पक्षधर समूहों ने वीजा में बेवजह की देरी के भी आरोप लगाए हैं. इससे पहले यहां 2014 में चुनाव हुए थे, जिसमें अवामी लीग ने दूसरी बार सत्ता में वापसी की थी. इस चुनाव का बीएनपी-नीत विपक्षी गठबंधन ने बहिष्कार किया था.
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