Bangladesh Government Crisis: परिवार का कत्ल-ए-आम, देश निकाला और नजरबंद, ऐसी रही शेख हसीना की अब तक की जिंदगी
Bangladesh Army Rule: बांग्लादेश में अशांति फैलने के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने देश भी छोड़ दिया है. उनका जीवन भी उतार चढ़ाव से भरा रहा है.
Bangladesh News: बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व वाले हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद पूरे देश में अशांति फैल गई, जिसके बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. यहां तक कि उन्होंने देश भी छोड़ दिया. उन्होंने सोमवार (05 जुलाई) को भारत के लिए हेलिकॉप्टर से उड़ान भरी. बांग्लादेश के प्रमुख अखबार प्रोथोम एलो के मुताबिक, ढाका स्थित उनके सरकारी अवास पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने धावा बोल दिया.
इस तरह बांग्लादेश में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाली शेख हसीना के शासनकाल का अप्रत्याशित अंत हो गया है. उन्होंने कुल मिलाकर 20 सालों से ज्यादा समय तक देश पर शासन किया है. शेख हसीना ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक लोकतंत्र समर्थक प्रतीक के रूप में की थी. उन्हें बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति का क्रेडिट भी दिया जाता है.
चौथी बार प्रधानमंत्री बनने पर हुई थी आलोचना
हालांकि, हाल के सालों में उन पर निरंकुश हो जाने और अपने शासन के विरोध में किसी भी व्यक्ति को दबाने का आरोप भी लगा है. जनवरी में हुए चुनावों में उन्होंने अभूतपूर्व चौथी बार प्रधानमंत्री के रूप में जीत हासिल की, जिसकी आलोचकों ने व्यापक रूप से निंदा की और इसे एक दिखावा बताया.
कैसे पावर में आईं शेख हसीना?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 1947 में पूर्वी बंगाल में एक मुस्लिम परिवार में जन्मी शेख हसीना के खून में राजनीति थी. उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान थे, जो बांग्लादेश के "राष्ट्रपिता" कहलाते थे. उन्होंने 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी का नेतृत्व किया और इसके पहले राष्ट्रपति बने. उस समय, शेख हसीना ढाका विश्वविद्यालय में एक छात्र नेता थीं और काफी मशहूर हो चुकी थीं.
1975 में सैन्य तख्तापलट में उनके पिता और उनके परिवार के अधिकांश लोगों की हत्या कर दी गई. केवल शेख हसीना और उनकी छोटी बहन ही जिंदा बचीं. दोनों बहनें इस वजह बच गईं क्योंकि ये दोनों विदेश यात्रा पर थीं. उस वक्त भी शेख हसीना सीधे बांग्लादेश न जाकर भारत आईं. कुछ वक्त भारत में बिताने के बाद वो 1981 में बांग्लादेश लौट आईं और अपने पिता की राजनीतिक पार्टी, अवामी लीग की नेता बन गईं.
जब पहली बार प्रधानमंत्री बनीं शेख हसीना
वह पहली बार 1996 में सत्ता में आयीं थीं. उन्हें भारत के साथ जल-बंटवारे के समझौते और देश के दक्षिण-पूर्व में जनजातीय विद्रोहियों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने का क्रेडिट मिला. इसके साथ ही, उनकी सरकार की अनेक कथित भ्रष्ट व्यापारिक सौदों और भारत के प्रति अत्यधिक अधीनस्थ होने के लिए आलोचना भी की गई.
बाद में 2001 में वह अपनी पूर्व सहयोगी और अब प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की बेगम खालिदा जिया से हार गईं. इस दौरान विपक्ष में रहते हुए कई गिरफ्तारियां और कई हत्या के प्रयास भी झेले. अदालत में कई मुकदमे हुए, उनसे भी वो निपटीं और इसके बाद वो 2009 में फिर से सत्ता में लौटीं. इसके बाद से बांग्लादेश ने शेख हसीना के नेतृत्व में विकास की कहानी लिखी. अब बांग्लादेश सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है.
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