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Bangladesh Government Crisis: बांग्लादेश में आरक्षण की आग ने कैसे भस्म की शेख हसीना की राजनीति? जानें तख्तापलट तक की पूरी कहानी

Bangladesh Army Rule: बांग्लादेश में रिजर्वेश में कोटा मुद्दे पर हो रहा विरोध प्रदर्शन इससे आगे बढ़कर एक व्यापक सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया.

Bangladesh News: दो अलग-अलग कार्यकालों में 20 साल तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी शेख हसीना के लिए हालिया उपजे हालात उनकी सबसे बड़ी परीक्षा साबित हो रहे हैं. करीब 1 महीने पहले उपजे विरोध-प्रदर्शनों की वजह से सोमवार को 76 वर्षीय शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं. प्रदर्शनकारियों ने पीएम आवास पर धावा बोल दिया. बीते कल रविवार 4 अगस्त को करीब 98 लोग इन विरोध-प्रदर्शनों में मारे गए और इसी के साथ बांग्लादेश में विरोध-प्रदर्शनों में जान गंवाने वालों की संख्या 300 के पार पहुंच गई.

रविवार 4 अगस्त को बांग्लादेश में पुलिस ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हजारों लोगों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 98 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए. यह हिंसा बांग्लादेश के हालिया इतिहास में सबसे घातक दिनों में से एक है, जिसने 19 जुलाई को हुए उन 67 मौतों को भी पीछे छोड़ दिया जब छात्र सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली के खिलाफ विरोध कर रहे थे.

क्या है बांग्लादेश में इस घातक अशांति का कारण?

पिछले महीने के अंत में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन तब बढ़ गया जब ढाका विश्वविद्यालय में छात्र कार्यकर्ताओं की पुलिस और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के साथ हिंसक झड़प हो गई. इन विरोध प्रदर्शनों की जड़ें एक कोटा प्रणाली से जुड़ी हैं, जो पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत तक सरकारी नौकरियों को आरक्षित करती है.

प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री हसीना की 'अवामी लीग पार्टी' के समर्थकों को असंवैधानिक रूप से फायदा पहुंचाती है. ऐसे में विरोध-प्रदर्शन करने वाले मौजूदा कोटा को बदलने और योग्यता-आधारित प्रणाली को लागू करने की वकालत कर रहे हैं.

क्या है कोटा प्रणाली, जिस पर विवाद छिड़ा है?

बता दें कि इस कोटा प्रणाली को साल 1972 में स्थापित किया गया था और साल 2018 में थोड़े समय के लिए समाप्त कर दिया गया था. ये कोटा प्रणाली लगातार विवादों का स्रोत रही है. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इस कोटा प्रणाली से 'अवामी लीग' के समर्थकों को अनुचित लाभ मिलता है और अन्य योग्य उम्मीदवारों के अवसर सीमित हो जाते हैं.

प्रदर्शनकारियों को किस-किस का मिला 'समर्थन'

हाल में ये विरोध प्रदर्शन कोटा मुद्दे से आगे बढ़कर एक व्यापक सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया है, जिसे फिल्म सितारों, संगीतकारों और परिधान निर्माताओं सहित समाज के विभिन्न वर्गों से समर्थन मिल रहा है. साथ ही, रैप गानों और सोशल मीडिया अभियानों ने हसीना के इस्तीफे की मांग को और बढ़ा दिया है.

प्रदर्शनकारियों पर शेख हसीना सरकार का क्या रुख रहा?

सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था. इसके अलावा प्रधानमंत्री हसीना की सार्वजनिक टिप्पणियों ने स्थिति को और अधिक भड़का दिया, जिससे विरोध प्रदर्शन तेज हो गया. शेख हसीना की सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर तोड़फोड़ करने और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं ठप करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि अब प्रदर्शन करने वाले छात्र नहीं बल्कि अपराधी हैं और लोगों को उनसे सख्ती से निपटना चाहिए. प्रदर्शन शुरू होने से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा था, "वे स्वतंत्रता सेनानी कोटा का विरोध क्यों कर रहे हैं? क्या वे चाहते हैं कि रजाकारों के वंशजों को सारी सुविधाएं मिलें?"

ये भी पढ़ें: Bangladesh Government Crisis: परिवार का कत्ल-ए-आम, देश निकाला और नजरबंद, ऐसी रही शेख हसीना की अब तक की जिंदगी

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