'बांग्लादेश छोड़ दो या जान बचाने के लिए पैसे भरो', इंजीनियर स्टूडेंट का दावा हिंदुओं से मांगी जा रही फिरौती
Bangladesh Crisis: निमय हलदर (बदला हुआ नाम) अपने चाचा के परिवार के साथ भारत में रहते हैं. जो 1971 के युद्ध के दौरान पलायन कर गए थे, जब अल्पसंख्यकों को पाकिस्तानी सेना ने निशाना बनाया था.
Bangladesh Hindu Crisis: बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमले चिंता का सबब बने हुए हैं. शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद भी वहां हिंसक घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. उपद्रवी खासकर हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, निमय हलदर (बदला हुआ नाम), जो छात्र वीजा पर भारत आया था. उसका दावा है कि पिछले हफ़्ते, उसे कई धमकी भरे कॉल आए, जिसमें कई लाख रुपए की प्रोटेक्शन मनी देने या बांग्लादेश छोड़ने के लिए कहा गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, निमय हलदर (बदला हुआ नाम) बांग्लादेश से महाराष्ट्र के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में वीजा लेकर पढ़ने आए थे. उसके बुजुर्ग माता-पिता चटगांव में बंदरगाह शहर की एक कॉलोनी में रहते हैं, जहां अन्य हिंदू भी रहते हैं. हलदर ने कहा कि उपद्रवी अल्पसंख्यकों के घरों की पहचान कर उन घरों के मालिकों को 5 लाख टका की फिरौती के लिए कॉल कर रहे हैं.
हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों पर क्या बीत रही है?
निमय हलदर ने कहा कि एक शख्स ने कॉल करके खुद को एक इस्लामी ग्रुप का सदस्य बताते हुए गुस्से में कहा, 'अगर आप प्रोटेक्शन मनी नहीं दे सकते तो देश छोड़ दो या मौत का सामना करो.'
हिंदुओं को क्यों निशाना बना रहे हैं उपद्रवी?
उन्होंने कहा कि हमें पैसे तैयार रखने के लिए कहा गया था. उन्होंने बताया कि इलाके के अन्य लोगों को भी इसी तरह के कॉल आए थे. हलदर ने कहा, 'मैं यहां नौकरी मिलने के बाद ढाका चला गया, लेकिन मेरे माता-पिता और रिश्तेदार चटगांव में रहते हैं.' उसका कहना है कि मुस्लिम समूहों की भीड़ ग्रामीण बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों को मार रही है और लूट रही है, लेकिन शहरों में रहने वाले लोग सुरक्षित हैं. हलदर ने कहा कि फिरौती के कॉल ने हमें हैरान और परेशान कर दिया है.
बांग्लादेश अल्पसंख्यकों का नहीं- मुस्लिम उपद्रवी
हलदर ने TOI से बातचीत में कहा कि कॉल करने वालों का कहना है कि बांग्लादेश अल्पसंख्यकों का नहीं है और अगर वे यहां रहना चाहते हैं, तो उन्हें प्रोटेक्शन मनी के नाम पर 5 लाख टका देने होंगे. उन्होंने कहा कि अभी तक कोई भी फिरौती लेने नहीं आया है, लेकिन अल्पसंख्यक डरे हुए हैं, क्योंकि उनके फोन नंबर कॉल करने वालों द्वारा ट्रैक किए गए थे.
भारत में रहकर की इंजीनियरिंग की पढ़ाई
निमय हलदर अपने चाचा के परिवार के साथ भारत में रहते हैं. जो 1971 के युद्ध के दौरान पलायन कर गए थे, जब अल्पसंख्यकों को पाकिस्तानी सेना और उसके मिलिशिया ने निशाना बनाया गया था.
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