Bangladesh violence: यूनुस सरकार का हिंदू विरोधी चेहरा फिर आया सामने, बांग्लादेश में पुलिस भर्ती को लेकर उठाया ये कदम
Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार और भेदभाव न केवल देश के आंतरिक हालात को खराब कर रहे हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय है.
Bangladesh violence: बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंदू विरोधी गतिविधियों और नीतियों में तेजी देखी जा रही है. प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की सरकार पर आरोप है कि वह देश को "हिंदू मुक्त" बनाने की दिशा में काम कर रही है. इस संदर्भ में हाल में जारी किए गए आदेश और नीतियां न केवल अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन कर रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के उल्लंघन की ओर भी इशारा करती हैं.
बांग्लादेश के गृह मंत्रालय और लोक सेवा आयोग ने निर्देश जारी किया है कि कांस्टेबल से लेकर पुलिस के उच्च पदों तक किसी भी हिंदू को नियुक्त न किया जाए. इसके वजह से 1500 से अधिक हिंदू उम्मीदवारों के आवेदन खारिज कर दिए गए हैं. सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP), पुलिस अधीक्षक (SP), और डीआईजी स्तर के 100 से अधिक हिंदू अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त किया गया. इन पदों पर कट्टरपंथी संगठनों, विशेष रूप से जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों को नियुक्त करने की योजना है.
पुलिसकर्मियों की मौजूदा भर्तियां रद्द
बांग्लादेश में 79,000 पुलिसकर्मियों की मौजूदा भर्तियां रद्द की जा रही हैं. जनवरी 2025 से नई भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें हिंदू अभ्यर्थियों को बाहर रखा जाएगा. इसके अलावा बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमला और उत्पीड़न किया जा रहा है. इस दौरान हिंदू धार्मिक स्थलों, प्रतिष्ठानों और समुदायों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. देश में शेख हसीना की सरकार के हटने के बाद से अब तक कई हिंदुओं की हत्या की जा चुकी है. इस वजह से हिंदुओं की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है.
बांग्लादेश में न्यायिक भेदभाव
बांग्लादेश में सिविल सेवा परीक्षा में हिंदुओं को सफल होने से रोकने के लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की भूमिका अहम मानी जा रही है. उन्होंने जहां पहले प्रधानमंत्री यूनुस ने हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और नीतियों में सुधार का वादा किया था. लेकिन सुधार के बजाय, हालात और अधिक खराब हो रहे हैं.
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