Bangladesh: भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में मौजूद जमात-ए-इस्लामी समेत दूसरे इस्लामिक समूह के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार (28 नवंबर) को चीन पहुंचा. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के न्योते पर 14 लोगों का समूह चीन यात्रा पर गया है. हैरानी की बात ये है कि महज 1 महीने की भीतर दूसरा दौरा है, जब बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के अलावा खलीफा काउंसिल, इस्लामिक ऑर्डर और खलीफा मूवमेंट के लोग टीन गए हैं. चीन जाने वाले प्रतिनिधिमंडल को जमात-ए-इस्लामी के केंद्रीय नायब-ए-अमीर (उपाध्यक्ष) समेत पूर्व संसद सदस्य सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहिर लीड कर रहे हैं.
बांग्लादेश के लोकल अखबार डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक ये पहली बार है, जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के न्योते पर देश का कोई इस्लामिक समूह दौरा कर रहा है. हालांकि, मौजूदा दौरे के बारे में पूर्व संसद सदस्य सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहिर ने किसी भी तरह की जानकारी देने से मना कर दिया और सिर्फ इतना कहा कि ये एक महज शिष्टाचार भेंट है. इससे पहले सीपीसी के निमंत्रण पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भी चीन का दौरा किया था.
इस्लामवादी नेताओं की बीजिंग यात्रा
25 नवंबर को बांग्लादेशी इस्लामी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिमंडल ने चीन की यात्रा की. यह यात्रा उस समय हुई जब चीन ने जमात-ए-इस्लामी और अन्य इस्लामी संगठनों के साथ संबंध मजबूत करने के संकेत दिए. चीन अपने 'वन बेल्ट वन रोड' पहल के तहत बांग्लादेश जैसे देशों के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा है. इस्लामवादी नेताओं की बीजिंग यात्रा से यह संकेत मिलता है कि चीन अब धार्मिक संगठनों के साथ भी संबंध मजबूत कर रहा है.
इस बीच जमात-ए-इस्लामी के नेता शफीकुल ने चीन के प्रति अपनी मित्रता को दोहराया. उन्होंने 'एक चीन' नीति के प्रति समर्थन व्यक्त किया और चीन को 'मूल्यवान अवसर' प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया.
हिंदू समुदाय पर हाल के वर्षों में हमले
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय, जो एक अल्पसंख्यक हैं. उन पर हाल के वर्षों में लगातार हमले हुए हैं. यह स्थिति 25 नवंबर को और गंभीर हो गई जब बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और पुंडरीक धाम के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को ढाका हवाई अड्डे पर पुलिस ने हिरासत में लिया. इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया. खासकर ऐसे समय में जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के आरोप लग रहे हैं.