आतंकियों की सरपरस्त बनीं यूनुस सरकार! आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के संस्थापक को बनाया बांग्लादेश का गृह सचिव
Terror Outfit Hizb-ut-Tahrir : 2000 में हिज्ब-उत-तहरीर की बांग्लादेश शाखा की स्थापना हुई थी. ढाका यूनिवर्सिटी के प्रो सैयद गुलाम मौला के निर्देशन में नसीमुल गनी और कावसर शाहनवाज ने इसकी स्थापना की थी.
Bangladesh’s Interim Government : आतंकवादियों को जेल से आजाद करने के बाद मोहम्मद सरकार की अंतरिम सरकार अब आतंकवादी संगठनों के सदस्यों को बांग्लादेशी शासन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी देने लगी है. मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने आतंकवादी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) बांग्लादेश के संस्थापक सदस्य नसीमुल गनी को देश का नया गृह सचिव नियुक्त किया है. मोहम्मद यूनुस के इस फैसले के बाद आतंकियों के प्रति उनकी भावना स्पष्ट दिख रही है.
बता दें कि नसीमुल गनी इससे पहले बीएनपी नेता जमीर उद्दी की सरकार में निजी सचिव के तौर पर भी रह चुके हैं. हालांकि, नसीमुल गनी हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े पहले व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें मोहम्मद यूनुस ने अहम जिम्मेदारी सौंपी है.
यूनुस सरकार में पहले से शामिल हैं HuT के सदस्य
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रमुख सहयोगियों में शामिल महफूज आलम के तार भी आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े रहे हैं. इसके अलावा अंतरिम सरकार में सलाहकार के तौर पर नियुक्त महफूज आलम को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट करने वाले हिंसक आंदोलन का मास्टरमाइंड माना जाता है.
मोहम्मद यूनुस के सहयोगी महफूज आलम ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था, जिसमें उसने भारत के कुछ हिस्सों को मिलाकर ग्रेटर बांग्लादेश बनाने की बात कही थी. हालांकि बाद में इसे हटा दिया गया. लेकिन भारत ने इस पोस्ट पर कड़ा विरोध जताया था.
शेख हसीना के तख्तापलट में निभाई अहम भूमिका
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ शुरू हुए छात्र आंदोलन को हिज्ब-उत-तहरीर ने जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के साथ मिलकर हाईजैक कर लिया था. 2024 के जुलाई में हिंसक आंदोलन के बाद 5 अगस्त को बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हो गया था. जिसके बाद शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेना पड़ा था.
साल 2000 में बनी थी हिज्ब-उत-तहरीर
साल 2000 में हिज्ब-उत-तहरीर की बांग्लादेश शाखा की स्थापना की गई थी. ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सैयद गुलाम मौला के निर्देशन में नसीमुल गनी और कावसर शाहनवाज ने इसकी स्थापना की थी. उस दौरान देश में बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी का गठबंधन में सत्ता में था. जिस पर 2009 में शेख हसीना की सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था.