Bangladesh Quran Burning: इस्लामिक धर्म में कुरान (quran) को एक पवित्र किताब का दर्जा दिया गया है. हाल ही में स्वीडन (sweden) में कुरान को जलाए जाने की अपमानजनक घटना हुई थी. इसके विरोध में दुनिया के सार इस्लामिक देशों ने मिलकर घटना की निंदा की थी. हालांकि, इस बार मामला थोड़ा ज्यादा गंभीर है, क्योंकि इस दफा कुरान को जलाए जाने की घटना मुस्लिम देश में हुई है.
हाल हीं बांग्लादेश (Bangladesh) में कुरान को जलाने की खबर सामने आई है, जिसमें बांग्लादेश के सबसे रूढ़िवादी हिस्सों में से एक - सिलहट के उत्तर पूर्वी शहर में दो लोगों ने मिलकर कुल 45 कुरान को आग के हवाले कर दिया. कुरान जलाने वाले आरोपियों का नाम नूरुर रहमान और महबूब आलम है, उन्होंने कुरान जलाने पर सफाई देते हुए कहा कि कुरान की किताब बहुत पुरानी थीं और कुछ की छपाई में गलतियां थीं.
उग्र विरोध प्रदर्शन किया
बांग्लादेश में कुरान जलाने के विरोध में हजारों लोगों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया. बांग्लादेशी पुलिस ने सोमवार (7 अगस्त) को कहा कि मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में दर्जनों कुरान जलाए जाने के बाद हजारों लोग विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए.
पुलिस अधिकारी अजबहार अली शेख ने एएफपी को बताया कि रविवार से सोमवार तक रात भर कम से कम 10,000 लोगों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए रबर की गोलियां और आंसू गैस छोड़े गए. उन्होंने पवित्र पुस्तकों को नष्ट करने के आरोपी दो लोगों पर हमला करने की कोशिश की थी.
झड़प में 14 पुलिसकर्मी घायल
बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच हुए झड़प में 14 पुलिसकर्मी घायल हो गए. हालांकि, इस झड़प में प्रदर्शनकारियों के घायल होने की कोई जानकारी मौजूद नहीं है. पुलिस ने जानकारी दी कि कुरान जलाने वाले आरोपियों में एक स्कूल प्रिंसिपल है.
उनके कुरान जलाने वाले फैसले पर कुछ मुस्लिम स्कॉलर का कहना है कि अगर किसी कारणवश सम्मानपूर्वक कुरान को जलाए जाए तो ये गलत नहीं है. हालांकि, पिछले महीने सार्वजनिक रूप से कुरान के अपमान से जुड़े कई विरोध प्रदर्शनों के बाद मुस्लिम देशों का तनाव स्वीडन और डेनमार्क के बीच बढ़ गया था.
बांग्लादेश की आबादी 17 करोड़
बांग्लादेश की आबादी 17 करोड़ है, जिनमें से 90 फीसदी मुस्लिम हैं. बाकी में बड़े पैमाने पर हिंदू और ईसाई हैं. दक्षिण एशियाई देश में धार्मिक भावनाओं को लेकर हिंसा आम है. इन देशों में ईशनिंदा की अफवाहों और सोशल मीडिया पर इस्लाम का मजाक उड़ाने वाले अपमानजनक पोस्टों पर अल्पसंख्यकों को अक्सर हमलों का सामना करना पड़ता है.
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