बांग्लादेश में पाकिस्तान आर्मी की एंट्री पर मोहम्मद यूनुस सरकार ने ऐसी बात कही है, जिससे पाक पीएम शहबाज शरीफ को झटका लग सकता है. उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश में पाक सेना को काम करने की अनुमति देने की सरकार की कोई योजना नहीं है. पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकियों की बात से भी उन्होंने इनकार कर दिया है. बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने कहा कि सरकार सभी SAARC देशों के साथ रिश्ते अच्छे करना चाहती है और सरकार उसके लिए काम भी कर रही है. 


SAARC आठ देशों का समूह है, जिसका पूरा नाम साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कॉपरेशन है. इसके सदस्यों देशों में बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान हैं. सीएनएन-न्यूज 18 के साथ इंटरव्यू में शफीकुल आलम ने कहा कि मोहम्मद यूनुस सभी SAARC देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहते हैं, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है. इसी के तहत बांग्लादेश रिश्ते बेहतर कर रहा है, लेकिन यूनुस सरकार की बांग्लादेश में पाकिस्तानी आर्मी को काम करने की अनुमति देने की कोई योजना नहीं है.


शफीकुल आलम ने यह भी बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है. शेख हसीना पिछले साल अगस्त में हुए तख्तापलट के बाद पीएम पद छोड़कर भारत आ गई थीं. तब से वह यही पर हैं. शफीकुल आलम से इस बारे में भी सवाल पूछे गए तो उन्होंने बताया कि यूनुस सरकार ने भारत के सामने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की इच्छा स्पष्ट कर दी है. उन्होंने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि भारत इसका जवाब देगा.


शफीकुल आलम ने कहा कि शेख हसीना हत्या और लोगों को जबरन गायब करने जैसे कई मामलों में वांछित हैं. इसके अलावा उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि शेख हसीना का कार्यकाल मानवाधिकारों के उल्लंघन और हत्याओं के लिए जाना जाता था. उन्होंने कहा कि शेख हसीना सिर्फ अपने पिता शेख मुजिबुर रहमान को प्रोमोट करने में लगी हुई थीं. शेख मुजिबुर रहमान के अलावा भी कई लोग थे, जिन्होंने देश के लिए योगदान दिया, लेकिन हसीना ने सब जगह अपने पिता के ही चित्र बनवाए.


शफीकुल आलम से पूछा गया कि क्या अब मुजिबुर रहमान को बांग्लादेश के राष्ट्रपिता के तौर पर नहीं जाना जाएगा और क्या इतिहास की किताबें भी रिराइट की जाएंगी, इसका उन्होंने जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, 'हमने कहा है कि वे भी बांग्लादेश के संस्थापक नेताओं में शामिल थे.'


 


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