Bangladesh Violence: बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ लाखों छात्र ढाका में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसे लेकर वहां की सरकार ने फिर से कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है. इस बीच, देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़कने को लेकर प्रधानमंत्री शेख हसीना सख्त नजर आईं. उन्होंने रविवार (4 अगस्त 2024) को कहा कि विरोध के नाम पर तोड़फोड़ करने वाले लोग छात्र नहीं, बल्कि आतंकवादी हैं और ऐसे तत्वों से कड़ाई से निपटने की जरूरत है.


प्रधानमंत्री शेख हसीना बोलीं, ‘‘मैं देशवासियों से इन आतंकवादियों का सख्ती से दमन करने की अपील करती हूं.’’ ढाका ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना ने गणभवन में सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की बैठक बुलाई, जिसमें उन्होंने ये बातें कही है. बैठक में सेना, नौसेना, वायु सेना, पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी), बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के प्रमुख और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारी थे. प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार और गृह मंत्री भी मीटिंग में मौजूद थे.


बांग्लादेश की सड़कों पर क्यों हैं छात्र?


दरअसल, बांग्लादेश में मौजूदा समय में प्रदर्शनकारी विवादास्पद कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के योद्धाओं के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण दिया गया था. छात्रों के इस आंदोलन में अब सेना के कुछ भूतपूर्व ऑफिसर भी शामिल हो गए हैं. 


बवाल के बीच आई भारत की एडवाइजरी


बांग्लादेश में बवाल और हिंसा के बाच भारत ने वहां रह रहे हिंदुस्तानियों से संपर्क में रहने और सतर्क रहने के लिए कहा है. इंडिया की ओर से इसे लेकर एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है. यह घटनाक्रम ऐसे समय पर देखने को मिला है बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों के बीच ताजा झड़पों में कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए. स्थानीय मीडिया के अनुसार, रंगपुर में चार अवामी लीग समर्थक मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हो गए, जबकि बोगरा और मगुरा में दो-दो लोग मारे गए, जिनमें एक छात्र दल का नेता भी शामिल हैं.


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