बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना सोमवार (5 अगस्त, 2024) को भारत पहुंच गईं. पिछले महीने शुरू हुए छात्र आंदोलन ने इतना उग्र रूप ले लिया कि शेख हसीना को आनन-फानन में पीएम पद से इस्तीफ देकर देश छोड़कर भागना पड़ा. बांग्लादेश में हुए इस तख्तापलट से पाकिस्तान के कुछ जाने-माने पाकिस्तानी बेहद खुश हैं. भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रह चुके अब्दुल बासित ने एक वीडियो जारी कर बांग्लादेशियों को बधाई दी है.
अब्दुल बासित ने कहा कि बांग्लादेश की जनता को बहुत बधाई और शेख हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत पहुंच चुकी हैं. उन्होंने पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच दूरियों के लिए शेख हसीना को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वह पुरानी बातें दिल में लेकर बैठी रहीं और जब भी पाकिस्तान ने हाथ बढ़ाया तो उसको नजरअंदाज कर दिया, जबकि भारत को तवज्जो दी.
शेख हसीना के साथ भारत को भी लिया निशाने पर
अब्दुल बासित ने साथ में भारत को भी निशाने पर लिया और कहा कि शेख हसीना के वहां जाने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत बहुत परेशान होंगे. उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि एक महीने पहले ही शेख हसीना इस्तीफा दे देतीं तो जो 300 मौतें हुई हैं, वो न होतीं, लेकिन सियासतदान थोड़ा देर से समझते हैं.
बांग्लादेश में बनेगी नई सरकार तो क्या होगा भारत का रुख?
अब्दुल बासित ने आगे कहा, 'जब भी बांग्लादेश में नई हुकूमत आती है और लोकतंत्र मजबूत होता है तो पाकिस्तान उसका स्वागत करेगा. देखना ये है कि भारत इस सूरत-ए-हाल पर कैसे रिएक्ट करता है. भारत और कलकत्ता से बांग्लादेशियों की एक डिमांड तो होनी चाहिए कि शेख हसीना को बांग्लादेश के हवाले करे क्योंकि उनके खिलाफ इंक्वायरी कमीशन बनाने की बातें हो रही हैं. ये जो 300 मौतें हुई हैं, उनका जिम्मेदार कौन होगा.' उन्होंने कहा, 'ये भी एक जायज डिमांड होगी बांग्लादेश की, लेकिन मुझे लगता नहीं है कि मिस्टर मोदी बांग्लादेश की नई हुकूमत ऑब्लाइज करेंगे फिलहाल.'
स्वतंत्रता सेनानियों को कोटा दिए जाने के शेख हसीना के फैसले का जिक्र करते हुए अब्दुल बासित ने कहा, 'उन्होंने बांग्लादेश के 1971 स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के लिए 30 फीसद कोटा कर दिया, जो सरासर जायती है. अगर वह इसके खिलाफ मान जातीं तो शायद आज जो हालात हैं वो न होते.' उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के युवाओं को कोटे की बात कुबूल नहीं थी. युवाओं को तो ये मालूम ही नहीं है कि 1971 में क्या हुआ था, वो तो चाहते हैं कि देश डेवलप हो और बांग्लादेश को भारत की सैटेलाइट रियासत न बनाया जाए.
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच रुकावट बनी रहीं शेख हसीना?
पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश के रिश्तों को लेकर अब्दुल बासित ने कहा कि शेख हसीना भारत को ही तवज्जो देती रहीं इसलिए जब पाकिस्तान ने भी उनकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो उन्होंने कुछ खास रिस्पोंस नहीं दिया. उन्होंने कहा कि वह वही 1971 के माइंडसेट से चल रही थीं. हालांकि, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच 10 अप्रैल 1974 को हुए एग्रीमेंट के आर्टिकल 16 में लिखा है कि हम पुरानी तल्खियां भुलाकर आगे बढ़ें.
बार-बार पाकिस्तान ने बढ़ाया दोस्ती का हाथ, बोले अब्दुल बासित
अब्दुल बासित ने यह भी कहा कि परवेज मुशर्रफ ने तो एक लिहाज से तो सॉरी कर ही दिया था, लेकिन वो भी शेख हसीना को गवारा नहीं था. शेख हसीना का पाकिस्तान के खिलाफ जो उनकी नफरत थी उसने पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच ताल्लुकात में बड़ी रुकावटें डालीं. उन्होंने कहा कि शेख हसीना का सियासी करियर खत्म हो चुका है, लेकिन उम्र के जिस हिस्से में वो हैं मुश्किल है कि दोबारा आएंगी. किस्मत भी देखिए कि कोई शख्स अपने करियर के पीक पर होता है और फिर गिरना शुरू होता है. ऐसे तब होता है जब लोगों की एसपीरेशन को नजरअंदाज करते हैं. वही शेख हसीना के साथ हुआ.
शेख हसीना ने बांग्लादेश को भारत की सैटेलाइट रियासत बना दिया, अब्दुल बासित ने कहा
अब्दुल बासित ने बांग्लादेश की नई सरकार को लेकर कहा कि देखना होगा कि अब आर्मी चीफ आएंगे वो क्या करते हैं. फौरी इलेक्शन होंगे या संविधान में जो भी प्रोविजन हैं उनके अनुसार चलते हैं. या फिर कोई ट्रांजिशनल गवर्मेंट बनती है. उन्होंने कहा कि पहले भी बांग्लादेश में टेक्नोक्रेट का सेटअप रहा है. तो शायद वही सिस्टम दोबारा लाया जाए क्योंकि बांग्लादेश की इकोनॉमी को भी काफी मुश्किलें हैं. पिछले साल उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का भी एक प्रोग्राम किया, चीन और भारत से भी मदद लेने की कोशिश की, लेकिन शेख हसीना का ये मानना रहा, उन्होंने बांग्लादेश को एक सैटेलाइट रियासत बना दिया.