Bangladesh Police: बांग्लादेश में शेख हसीना के शासन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने की थी बर्बरता, ITJP की रिपोर्ट में खुलासा
बांग्लादेश में 2024 में प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की ओर से की गई बर्बरता पर रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि उन्होंने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार किया था.
Bangladesh Police Brutality: इंटरनेशनल ट्रुथ एंड जस्टिस प्रोजेक्ट (ITJP) ने बांग्लादेश में 2024 के प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की बर्बरता का खुलासा किया है. 5 अगस्त को ढाका में दो घटनाओं के वीडियो की जांच करते हुए ITJP ने पाया कि बांग्लादेशी पुलिस ने शांतिपूर्ण और निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर जानबूझकर हमले किए. बता दें कि इन्हीं घटनाओं के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया और देश छोड़ भारत आ गईं.
फिल्म निर्माता कैलम मैक्रे की ओर से जांच किए गए वीडियो फुटेज में दिखाया गया कि पुलिस को प्रदर्शनकारियों से कोई खतरा नहीं था. उन्होंने कहा कि पुलिस की ओर से हिंसा का इस्तेमाल कानूनी रूप से सही नहीं था. फुटेज से ये भी पता चला है कि प्रदर्शनकारियों में छात्र और अन्य नागरिक शामिल थे, जो पुलिस की गोलियों के शिकार बने.
पुलिस स्टेशन के बाहर चली गोलियां
ITJP की जांच टीम में मैक्रे समेत उनके लोगों ने 5 अगस्त की दो घटनाओं के फुटेज का विश्लेषण किया, जिसमें बांग्लादेशी पुलिस पर निहत्थे नागरिक प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने और उन्हें मारने का आरोप लगाया गया था. एक घटना ढाका के दक्षिण में जत्राबारी पुलिस स्टेशन के बाहर दोपहर करीब 2 बजे हुई. स्मार्टफोन वीडियो में देखा गया कि दर्जनों छात्र पुलिस स्टेशन के बाहर जमा थे, जब पुलिस ने उन पर गोलियां चला दी.
शेख हसीना के शासन की आलोचना
शेख हसीना के 15 साल के शासन के दौरान भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन के आरोप लगे. पिछले साल जब देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए तो शेख हसीना की सरकार ने प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए पुलिस बल का सहारा लिया. एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर घातक हथियारों का गलत इस्तेमाल किया, जिसमें 1,000 से अधिक लोग मारे गए और कई घायल हुए.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यास्मीन सूका, ITJP की कार्यकारी निदेशक ने कहा कि पुलिस की इस बर्बरता को देखकर यह प्रतीत होता है कि शेख हसीना ने आंदोलन को दबाने की पूरी कोशिश की. लेकिन सफल नहीं हो पाई. इसके बाद उन्हें हारकर इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.