Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में मंगलवार रात (22 अक्टूबर, 2024) को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने राजधानी ढाका में बंगभवन (राष्ट्रपति आवास) पर धावा बोलने की कोशिश की, जिसके बाद तनाव फिर बढ़ गया. बंगभवन घेराव के दौरान प्रदर्शनकारियों-पुलिस के बीच झड़प हुई और प्रदर्शनकारियों की ओर से राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के साथ पुराने संविधान को हटाने की मांग उठा दी गई है.
दरअसल, बांग्लादेश में अगस्त में राजनीतिक संकट के बाद शेख हसीना को 16 साल के शासन को खत्म कर भारत भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था, जबकि उसके बाद फिर राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने हालिया बयान में कहा था कि उनके पास शेख हसीना के इस्तीफे के दस्तावेजी सबूत नहीं हैं.
"शेख हसीना के इस्तीफे का कोई सबूत नहीं"
पिछले सप्ताह राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने हालिया बयान में कहा था कि उनके पास पांच अगस्त को शेख हसीना के इस्तीफे का कोई सबूत नहीं है और उन्होंने केवल इसके बारे में सुना है. उन्होंने कहा, "मैंने कई बार इस्तीफा हासिल करने की कोशिश की पर असफल रहा. शायद उनके पास समय नहीं था."
हालांकि, पांच अगस्त की रात को जनता को संबोधित करते हुए शहाबुद्दीन ने कहा था, "आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया है और मुझे यह मिल गया है." अब इस मामले पर विधि मामलों के सलाहकार आसिफ नज़रूल ने बताया कि राष्ट्रपति ने 'झूठ बोला' और उनकी टिप्पणी "उनके पद की शपथ के उल्लंघन के समान" थी. उन्होंने कहा कि उन्हें पद से हटाने का संवैधानिक प्रावधान है.
प्रदर्शन में पांच लोग घायल
बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, मंगलवार शाम को प्रदर्शनकारियों ने बंगभवन की ओर मार्च किया. जैसे ही अधिक लोग प्रदर्शन में शामिल हुए, पुलिस ने रोकने के लिए बल का भी इस्तेमाल किया. उपद्रवियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठियां भी चलाईं, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने आगे बढ़ना जारी रखा. प्रदर्शन के दौरान दो पत्रकारों सहित कम से कम पांच लोग घायल हुए.
'डेली रिपोर्ट' के मुताबिक, मंगलवार देर रात शेख हसीना को हटाने को लेकर किए जा रहे प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट के दो सबसे प्रमुख छात्र नेता (हसनत अब्दुल्ला और सरजिस आलम) प्रदर्शन वाले जगह पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को वहां से चले जाने का अनुरोध किया.
छात्र नेताओं ने रखी पांच सूत्री मांग
इस बीच, हसनत ने गुरुवार तक नए राष्ट्रपति को चुनने के लिए राजनीतिक दलों से बात करने का आश्वासन दिया. सरजिस ने कहा कि अगर समय सीमा तक किसी की नियुक्ति नहीं की गई, तो वे भी आपके साथ सड़कों पर उतरेंगे. दोनों छात्र नेताओं ने बांग्लादेश के 1972 के संविधान को खत्म करने सहित पांच सूत्री मांग भी रखी.