बांग्लादेश में यूनुस सरकार का बढ़ा सिरदर्द! अब पेड़ भी गिरता है तो लोग करने लगते हैं प्रदर्शन
Bangladesh Protests: बांग्लादेश के पंथकुंजा पार्क इलाके में ढाका एलिवेटेड एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य की पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों ने तीखी आलोचना की है.
Bangladesh Protests erupt over tree felling: बांग्लादेश में शेख हसीना के अपदस्थ हुए करीब 4 महीने हो गए हैं. उनके देश छोड़ने के बाद देश में तेजी से हालात बदले हैं. मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार ने भले ही देश की बागडोर संभाल ली हो लेकिन वह देश के सामने आने वाली चुनौतियों से पार पाने में असमर्थ नजर आते हैं. बीते महीनों में देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले हो या पड़ोसी देश के साथ बेहतर संबंध बनाना हो, इसी तरह कई मोर्चों पर युनूस सरकार फिसड्डी साबित हुई है. एक वक्त पर था जब बांग्लादेश की जीडीपी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार था.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का डेटा बताता है कि 2019 में बांग्लादेश की जीडीपी ग्रोथ 7.9 फीसदी थी. साल 2020 में कोरोना चरम पर था, तब भी बांग्लादेश ने 3.4 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ दर्ज की. बांग्लादेश सरकार ने हालिया बजट में जीडीपी ग्रोथ को 6.75 फीसदी तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इससे पहले की ये लक्ष्य पूरा किया जाता, देश की सत्ता पर मोहम्मद युनूस की सरकार का कब्जा हो गया. अब अंतरिम सरकार का हाल तो इतना बेहाल हो गया कि देश में पेड़ भी गिरता है तो लोग आंदोलन पर उतर आते हैं और सरकार इन्हें नजरअंदाज कर रही हैं.
पेड़ गिरा और हो गया आंदोलन
दरअसल बांग्लादेश के कारवान बाजार के नजदीक पंथकुंजा पार्क इलाके में ढाका एलिवेटेड एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य की पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों ने तीखी आलोचना की है. इस प्रोजेक्ट के तहत पेड़ों की कटाई और हरित क्षेत्रों में छेड़छाड़ को लेकर लोग परेशान हैं. प्रदर्शन कर रहे लोगों सरकार के खिलाफ एक मानव श्रृंखला भी बनाई.
सरकार की ओर से बातचीत की नहीं हुई कोई पहल
गच रोक्खा आंदोलन (पेड़ों को बचाने के लिए आंदोलन) के प्रदर्शनकारियों ने निर्माण को तत्काल रोकने की मांग की. उन्होंने पंथकुंजा पार्क और उससे सटे हातिरझील के नुकसान पहुंचाए जाने की निंदा की और संबंधित अधिकारियों से शहरी विकास के बजाय पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने की गुजारिश की है. लोग इस मामले को लेकर नाराज है कि सरकार उनका कुछ सुध नहीं ले रही है, न ही आंदोलन के बाद सरकार की ओर से किसी तरह का आश्वासन और बातचीत की पहल हुई हैं.
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