Rohingya Refugee Camp: बांग्लादेश के रोहिंग्या मुस्लिम कैंप में लगी आग, 2 हजार घर जल कर राख
Rohingya Refugee: म्यांमार देश के उत्पीड़न से बचने के लिए 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश भाग गए हैं, जिसे अमेरिका ने नरसंहार के बराबर बताया है.
Bangladesh Rohingya Refugee Fire: बांग्लादेश में रविवार (5 मार्च) को कॉक्स बाजार में भीषण आग लग गई. आग दोपहर के समय में बालू खाली कैंप में लगी. बंग्लादेश (Bangladesh) के जिस इलाके में आग लगी है, उस कैंप में ज्यादातर रोहिंग्या मुस्लिम का घर है, जो म्यांमार से पड़ोसी बांग्लादेश में भाग गए हैं. यहां पर दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी कैंप मौजूद है.
आग लगने से कोई हताहत नहीं
बांग्लादेश की दमकल सेवा के अधिकारी इमदादुल हक ने कहा कि तत्काल आग लगने से कैंप में कोई हताहत नहीं हुआ है. बांग्लादेश में UNHCR ने एक ट्वीट में लिखा कि कैंप के स्वयंसेवक आग पर काबू पा रहे हैं. एजेंसी ने यह भी कहा कि वह समर्थन दे रही थी. स्थानीय समाचार पत्र ढाका ट्रिब्यून ने बताया कि चार दमकल यूनिट की टीम को भी घटनास्थल पर तैनात किया गया था.
कॉक्स बाजार के पुलिस अधीक्षक रफीकुल इस्लाम ने रॉयटर को बताया कि फिलहाल हमारे पास नुकसान का अनुमान नहीं है, लेकिन किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है. उन्होंने कहा कि आग पर काबू पा लिया गया है और अग्निशमन, पुलिस और शरणार्थी राहत विभागों के अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद हैं.
2,000 अस्थायी कैंप जल कर खाक
स्थानीय अधिकारियों ने बाद में कहा कि कम से कम 2,000 अस्थायी कैंप जल कर खाक हो गए. बांग्लादेश के शरणार्थी राहत और प्रत्यावर्तन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद शमसुद्दोजा ने जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए को बताया कि ये ज्यादातर बांस और तिरपाल से बने थे. उन्होंने कहा कि दो घंटे में लगभग 10,000 लोगों ने अपने घरों को खो दिया है, जिससे आग पर काबू पाने में दमकल कर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है. इससे पहले कैंप में जनवरी 2022 और मार्च 2021 में इसी तरह से आग लगी थी, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई और 10,000 से अधिक घर नष्ट हो गए थे.
10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी
म्यांमार (Myanmar) देश के उत्पीड़न से बचने के लिए 1 मिलियन (10 लाख) से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी (Rohingya Refugee) बांग्लादेश भाग गए हैं, जिसे अमेरिका ने नरसंहार के बराबर बताया है. साल 2017 में बॉर्डर क्रॉस करने वाले रोहिंग्याओं की संख्या तब बढ़ गई जब बौद्ध बहुल म्यांमार में सेना ने अल्पसंख्यक समूह पर हिंसक कार्रवाई शुरू कर दी.
म्यांमार में अधिकांश रोहिंग्याओं को नागरिकता और अन्य अधिकारों से वंचित रखा गया है. बांग्लादेश के ओर से उन्हें वापस भेजने की कोशिश विफल रही हैं क्योंकि 2021 में म्यांमार में सेना के सत्ता में आने के बाद से हालात और खराब हो गए.