Bangladesh: बांग्लादेश में अवामी लीग समर्थक फासीवादी जजों को हटाने की मांग को लेकर छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 12 जजों को न्यायिक गतिविधियों से बुधवार को निलंबित कर दिया. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग सरकार का विवादित आरक्षण प्रणाली के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन के बाद अगस्त में गिर गई थी. शेख हसीना पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़कर चली गई थीं.


अखबार ‘द डेली स्टार’ की खबर के मुताबिक, प्रधान जज सय्यद रफात अहमद ने यह फैसला तब लिया, जब भेदभाव विरोधी आंदोलन में शामिल सैकड़ों प्रदर्शनकारी छात्रों ने बुधवार को उच्च न्यायालय परिसर को घेर लिया और अवामी लीग समर्थक फासीवादी जजों को हटाने की मांग की.


न्यायिक गतिविधियों में नहीं ले पाएंगे हिस्सा


सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अजीज अहमद भुइयां के हवाले से कहा गया कि, “हाई कोर्ट के 12 जजों को बेंच अलौट नहीं की जाएगी, जिसका मतलब यह है कि उन्हें 20 अक्टूबर को अदालतों में छुट्टियां खत्म होने के बाद न्यायिक गतिविधियों में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होगी.” समाचार पोर्टल ‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ की खबर के अनुसार, छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में अपना विरोध-प्रदर्शन शुरू करते हुए अवामी लीग से जुड़े उन न्यायाधीशों के इस्तीफे की मांग की, जो पार्टी लाइन पर चल रहे हैं.”


क्यों लिया गया फैसला?


इन जजों को न्यायिक गतिविधियों से निलंबित किए जाने की घोषणा के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपना विरोध रविवार तक के लिए स्थगित कर दिया. यह फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि उक्त 12 न्यायाधीशों ने इस्तीफा नहीं दिया था और उन्हें हटाने के लिए कोई कानूनी ढांचा मौजूद नहीं था. खबर के मुताबिक, विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले संयोजक सरजिस आलम ने कहा कि छात्र शेख हसीना की अवामी लीग फासीवादी सरकार और पक्षपाती न्यायाधीशों से जुड़े न्यायाधीशों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.


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